शतरंज की रानी - दिव्या देशमुख
लेखक- संजय दुबे
हंगरी की राजधानी बुकापेस्ट में भारत की पुरुष और महिला शतरंज टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए डबल गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। शह और मात के खेल में पुरुषो की टीम से बेहतर प्रदर्शन महिलाओं ने किया।टीम को जीतने के लिए हर खिलाड़ी ने बेहतर प्रदर्शन किया टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थी दिव्या देशमुख, जो नागपुर की रहने वाली है। हाल ही में दिव्या ने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
2013में दिव्या फीडे मास्टर्स रेंक में पहुंच गई थी। 2014में महज नौ साल की उम्र में दिव्या युवा विश्व चैंपियन बन गई थी।2017में दिव्या ने दोबारा इस चैंपियनशिप पर कब्जा किया। 2018में दिव्या ने महिला अंतराष्ट्रीय मास्टर बनने की योग्यता हासिल की।
दिव्या 2021 में भारत की 21वीं महिला शतरंज ग्रैंडमास्टर बनीं। उन्होंने 2022 महिला भारतीय शतरंज चैंपियनशिप जीती । उन्होंने 2022 शतरंज ओलंपियाड में व्यक्तिगत कांस्य पदक भी जीता । वह स्वर्ण पदक जीतने वाली फीडे ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड 2020 टीम का भी हिस्सा थीं ।2023 में, अल्माटी में उन्होंने एशियाई महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती । इसके बाद वह टाटा स्टील इंडिया शतरंज टूर्नामेंट के महिला रैपिड वर्ग में सबसे नीचे की वरीयता प्राप्त होने के बावजूद पहले स्थान पर रहीं। टूर्नामेंट में, उन्होंने हरिका द्रोणावल्ली , वंतिका अग्रवाल (वर्तमान भारतीय महिला टीम के सदस्य) , कोनेरू हम्पी , सविता श्री बी , इरिना क्रश और नीनो बत्सियाश्विली को हराया । महिला विश्व चैंपियन जू वेनजुन और अन्ना उशेनिना के खिलाफ ड्रॉ खेला और पोलिना शुवालोवा से अपनी एकमात्र हार का सामना किया ।2023में दिव्या देश की 21वी ग्रैंड मास्टर बनी।अगस्त 2024 तक, वह भारत की चौथी रैंक वाली महिला शतरंज खिलाड़ी थी।हाल ही हुए 45वें शतरंज ओलंपियाड में टीम स्वर्ण के साथ-साथ बोर्ड5में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी जीता। एस बुद्धि और कौशल के खेल में दिव्या का प्रदर्शन आश्चर्य चकित करता है।
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