चंद्रयान के बाद शुक्रयान की बारी, ISRO के ड्रीम मिशन की तारीख तय..

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चंद्रयान-3 की अपार सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्र ग्रह पर जाने की तैयारी कर रहा है। इसरो ने जानकारी दी है कि इस मिशन में अंतरिक्ष यान को ग्रह तक पहुंचने में 112 दिन लगेंगे।

इसका नाम वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) है। यान की लॉन्चिंग कब होगी, ऐलान हो गया है। शुक्र ग्रह के लिए भारत का यह पहला प्रयास होगा। इसका उद्देश्य ग्रह के वायुमंडल, सतल और भूवैज्ञानिक विशेषताओं का अध्ययन करना है।

भारत सरकार द्वारा इस मिशन के लिए 1,236 करोड़ रुपए(लगभग 150 मिलियन डॉलर) की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसरो ने ऐलान किया है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो शुक्रयान-1 को 29 मार्च 2028 को प्रक्षेपित किया जाएगा।

शुक्रयान-1 शुक्र ग्रह का अध्ययन करने का भारत का पहला प्रयास होगा। इस मिशन में इसरो के शक्तिशाली एलवीएम-3 (लॉन्च व्हीकल मार्क 3) रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। यह अंतरिक्ष यान शुक्र की सतह पर लॉन्चिंग के 112 दिन बाद 19 जुलाई 2028 को पहुंचेगा।

अंतरिक्ष जगत में लगातार धूम मचा रहे इसरो के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। वीओएम का उद्देश्य शुक्र ग्रह के वायुमंडल, सतह और भूवैज्ञानिक विशेषताओं का अध्ययन करना है। मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में ग्रह की वायुमंडलीय संरचना, सतह की विशेषताओं और संभावित ज्वालामुखी या भूकंपीय गतिविधि की जांच करना शामिल है।

अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह का अध्ययन करने के लिए ऑर्बिटर में सिंथेटिक अपर्चर रडार, इन्फ्रारेड और पराबैंगनी कैमरे और सेंसर सहित अत्याधुनिक उपकरण भेजेगा। ये उपकरण वैज्ञानिकों को शुक्र के घने, कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वायुमंडल के रहस्यों को जानने और ग्रह की सतह पर सक्रिय ज्वालामुखियों की संभावना का पता लगाने में मदद करेंगे।

शुक्रयान-1 मिशन में इसरो के साथ रूस, फ्रांस, स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों की भी भागीदारी है। स्वीडिश इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस फिजिक्स (आईआरएफ) सूर्य और शुक्र के वायुमंडल से आने वाले कणों का अध्ययन करने के लिए इसरो को वीनसियन न्यूट्रल्स एनालाइजर (वीएनए) उपकरण प्रदान करेगा।

भारत सरकार ने इस मिशन के लिए 1,236 करोड़ रुपए (लगभग 150 मिलियन डॉलर) का बजट स्वीकृत किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वीनस ऑर्बिटर मिशन भारत की अंतरिक्ष रिसर्च क्षमताओं को आगे बढ़ाएगा।


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