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महाराष्ट्र चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा दांव..
नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित किया है।
आज मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली जैसी 5 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मंजूरी दी गई है।" सरकार ने यह निर्णय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले लिया है। मराठी अस्मिता राज्य में एक मुद्दा रहा है। गुरुवार को मोदी सरकार के ऐलान के बाद अब कुल 11 शास्त्रीय भाषाएं हो जाएंगी।
इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। गुरुवार को अहम फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने ऐलान किया कि शास्त्रीय भाषा में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाएं भी होंगी।
ये महाराष्ट्र (मराठी), बिहार (पाली और प्राकृत), पश्चिम बंगाल (बंगाली) और असम (असमिया) से संबंधित हैं। 2004 में केंद्र सरकार ने "शास्त्रीय भाषाओं" के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया था। जिसमें तमिल को सबसे पहले शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया।
इसके बाद संस्कृत को 25 नवंबर 2005 को, तेलुगु को 11 अक्टूबर 2008, कन्नड को 31 अक्टूबर 2008, मलयालम को 8 अगस्त 2013 और उड़िया को एक मार्च 2014 को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। बीते 25 जुलाई को शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए।
पार्टी सांसद अरविंद सावंत ने केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान यह मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से कंपनियों को गुजरात ले जाया रहा है। लोकसभा में बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए सावंत ने सवाल किया था कि अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र के नौजवानों को नौकरी कैसे मिलेगी? बता दें कि मराठी राज्य में अहम मुद्दा रहा है और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।
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