हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे 5 कारण
1. एक प्रमुख कारण पार्टी की अंदरूनी कलह और सत्ता के लिए इसके शीर्ष नेताओं की होड़ है। चुनाव से बहुत पहले, कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि जीत तय है और उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए होड़ शुरू कर दी थी। कांग्रेस के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा के बीच सत्ता की खींचतान खुलकर सामने आ गई थी, जिसके लिए पर्दे के पीछे से काफी नुकसान की भरपाई करनी पड़ी।
2. क्षेत्रीय ताकतें, निर्दलीयों ने विपक्ष को बर्बाद कर दिया: कांग्रेस वोट शेयर में भाजपा से मामूली रूप से आगे है, लेकिन रुझान दिखाते हैं कि वह इसे सीटों में बदलने में बहुत सफल नहीं रही है। कई सीटों पर, अंतर बहुत कम है, जो दर्शाता है कि क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों ने हरियाणा में सत्ता विरोधी वोटों को खा लिया, जिससे भाजपा को फायदा हुआ।
3,जाट विरोधी एकजुटता: जबकि हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने जाट वोटों पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं भाजपा के पक्ष में गैर-जाट वोटों का भी एकजुटता देखने को मिली।
4, भाजपा का गुप्त काम: हालांकि चुनाव विश्लेषकों ने हरियाणा में भाजपा को नकार दिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर चुपचाप किए गए काम ने सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में माहौल बदल दिया।
5,भाजपा का शहरी वर्चस्व: पिछले एक दशक में भाजपा ने हरियाणा के शहरी इलाकों जैसे गुड़गांव और फरीदाबाद में अपना समर्थन मजबूत किया है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह ग्रामीण इलाकों में भी अपना दबदबा बनाएगी, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि ऐसा हुआ है, जैसा कि उसे उम्मीद थी।
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