रानी रामपाल का हॉकी को राम राम..
लेखक- संजय दुबे
आया है सो जाएगा राजा रंक फकीर, इस पंक्ति में आज राजा की जगह "रानी" लिखने का दिन है। भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने साल के केरियर के बाद संन्यास की घोषणा कर दी।
खेल जगत में सक्रिय खेल की उम्र 15साल मानी जाती है । इतने साल खेलने के बाद खिलाड़ी मस्तिष्क के बजाय अनुभव से भले प्रदर्शन कर ले लेकिन बदलाव के चलते और नए खिलाड़ियों के आगमन से पुराने खिलाड़ियों को स्वीकार करना होता है कि बहुत हुआ,बस। कुछ खिलाड़ी उम्मीद करते रहते है कि देर सबेर वे अच्छा कर लेंगे लेकिन ये मुगालता ही होता है। रानी रामपाल भी ये बात समझ चुकी थी उनके दिन लद चुके है और जिस पोजिशन (फारवर्ड और बैक) में वे खेलती है वहां रानी से बेहतर खिलाड़ी खेल रही है।
रानी ने सही समय पर सही निर्णय लिया और 15साल के शानदार करियर के बाद हॉकी को बतौर खिलाड़ी टांग दिया लेकिन एक कोच के रूप में रानी की सेवा जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए जारी है,श्रीजेश के समान।
ऐसा बहुत कम होता है कि खिलाड़ी अभिजात्य वर्ग से आता हो, उंगलियों में गिनने लायक नाम है लेकिन सुविधा के अभाव और गरीब वर्ग से बहुत अधिक खिलाड़ी भारत मे दीप्तिमान होते है।रानी रामपाल भी ऐसे ही घर से निकल कर देश का नाम देश दुनियां में रोशन की है। उनके पिता रामपाल, एक तांगा चालक रहे , दिन भर मेहनत कर घर चलाना आसान नहीं हुआ करता था,ऐसे में एक लड़की हॉकी पकड़ कहती है कि उसे हॉकी खेलना है। कोच के पास के जाते है तो कमजोर कद काठी की रानी को वापस जाने के लिए कहते है। वापसी के कुछ कदम रानी के लिए मुश्किल के थे,तभी पीछे से आवाज आती है, आजा।
इसी आवाज की ताकत ने रानी को सिर्फ 14साल के उम्र में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए खड़ा कर दिया।अपने मेहनत और तकनीक के बल पर रानी रामपाल ने भारतीय महिला हॉकी को गुमनामी से निकाल कर ऐसे मुकाम पर खड़ा कर दिया कि देश की युवतियां खास कर गरीब घर की, सपना संजो सकती है कि वे देश के लिए कोई भी खेल खेल सकने का सामर्थ्य रखती है
रानी रामपाल ने अपने खिलाड़ी जीवन में 254अंतराष्ट्रीय मैच खेले,205 गोल किए। भारत को 2020के ओलंपिक खेल में कांस्य पदक दिलाते दिलाते रह गई थी।एक कप्तान के रूप में रानी का सर्व श्रेष्ठ प्रदर्शन था। ओलंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन के चलते रानी रामपाल को भारतीय खेल का सर्वश्रेष्ठ सम्मान के रूप में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।इसी साल रानी रामपाल को पद्मश्री भी मिला।
अब रानी रामपाल कोच के रूप में नई भूमिका में होंगी।उन्हें भारत के युवा हॉकी खिलाड़ियों को तराशने का काम मिला है।
अभाव में रहने वालों को उम्मीद की राह दिखाने वाली रानी रामपाल को देश कृतज्ञता के साथ याद रखेगा।
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