सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द के खिलाफ याचिका खारिज की

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सुप्रीम कोर्ट ने आज (25 नवंबर) 1976 में पारित 42वें संशोधन के अनुसार संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों को शामिल करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि संसद की संशोधन शक्ति प्रस्तावना तक भी फैली हुई है। प्रस्तावना को अपनाने की तिथि संसद की प्रस्तावना में संशोधन करने की शक्ति को सीमित नहीं करती है। इ

स आधार पर, पूर्वव्यापीता के तर्क को खारिज कर दिया गया। सीजेआई खन्ना ने कहा कि फैसले में कहा गया है कि इतने सालों के बाद, प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता है। फैसले में यह भी बताया गया है कि 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' का क्या मतलब है। फैसले के अपलोड होने के बाद अधिक जानकारी उपलब्ध होगी।


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