दुर्घटना और मौत:ऐसे तूफान न ही आए

लेखक - संजय दुबे

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आजकल तूफानों के नाम रखने का रिवाज है।ऐसे तूफान एक समय विशेष के होते है जिसका प्रभात तात्कालिक होता है। आजकल फ़ेंगल तूफान के चलते सुबह कोहरा और दिन भर गहरे काले बादल छाएं हुए है। हल्की बरसात भी हो रही है।कुछ दिनों में इस तूफान का असर थम जाएगा।

    एक तूफान कल सुबह 5बजे आया और चार परिवार के संभावनाओं से भरे युवा जीवन को तबाह कर गया। अंबिकापुर बिलासपुर नेशनल मार्ग पर एक ट्रक और कार दुर्घटना में रायपुर के चार युवा जीवन का अंत हो गया।मै जिस जिम का सालाना सदस्य हूं उस जिम का मुस्कुराता हुआ मालिक संजू साहू भी इसी कार में सवार थे। पिछले शनिवार को मुझे टोकते हुए कहा था सर फिटनेस और बढ़ाना है। कल सुबह बात याद किया और कुछ देर बाद ही इतनी दुखद सूचना मिली कि अभी तक मन व्यथित है।

  चार परिवार के दुख का कारण दुर्घटना है यह तय है।गलती ट्रक चालक की थी या कार चालक की या मौसम की परिणाम अत्यंत ही दुखद है। हम हर दिन बिना नागे के ऐसे दुर्घटना की खबर पढ़ते है और उससे प्रभावित हुए बगैर वही करते है जो मन में आता है। तेज गति से असंतुलित वाहन चलाना युवा वर्ग का साहसिक कार्य हो गया है।परिणाम की परवाह किए बिना जोखिम मोल लेना कुछ लोगों की मानसिकता होती है।ऐसा नहीं है कि ऐसे साहस या जोखिम के कारण खुद का नुकसान होता है बल्कि दूसरे का भी नुकसान हो जाता है। आपका साहस या जोखिम किसी परिवार के सदस्य के घायल होने या मरने के लिए जिम्मेदार है तो ये आत्म ग्लानि का विषय है।

शानदार सड़के और आधुनिक वाहन,युवा वर्ग को अतिरिक्त जोखिम लेने के लिए आमंत्रण देता है लेकिन यातायात विभाग के अपने नियम कायदे कानून है जिनका पालन करना हर वाहन चालक की जिम्मेदारी है। संतुलित वेग और नियंत्रित वाहन चालन आज की आवश्यकता है,इससे बेखबर लोग न केवल अपनी बल्कि दूसरे की जानकी भी जोखिम में डाल रहे है।

ऐसी दुर्घटनाएं, भविष्य में रुकेंगे ऐसी आशा नहीं की जा सकती है । एक परिवार अपने सदस्य को खोने का असहनीय दुख को भूल नहीं सकता है। चारों युवकों में मै संजू साहू से हर दिन मिला करता था।असीमित संभावनाओं से भरपूर ऊर्जा थी उनमें। एक मुस्कुराता हुआ चेहरा जिम स्टाइल में मुट्ठी जोड़ कर अभिवादन करता था। सचेत भी करता था,उत्साहवर्धन भी करता था।आज जिम बंद है।संभावनाओं से भरे व्यक्तित्व का अंत एक दुर्घटना में हो गया। 

क्या ऐसी घटनाओं में कमी नहीं हो सकती?बिल्कुल हो सकती है।जल्दबाजी की यात्राएं न हो ,असंतुलित गति से वाहन चालन न हो,यातायात विभाग के नियम का पालन हो।अपनी जान के साथ साथ दूसरे की भी जान की कीमत पहचाने। हमें याद रखना चाहिए घर में हमारा परिवार, समाज में सदस्य और मित्र मंडली में मित्र हमारा इंतजार करते होते है। हमारी जगह हमारी दुखद हादसे की सूचना न पहुंचे।संजू, तुम बहुत याद आ रहे हो


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