मेरे जूते की कथा
लेखक - संजय दुबे
पांच साल पहले तक मै सस्ता जूता पहन कर सुबह घूमने जाता था। उस जूते के पैर के बनावट से कोई लेना देना नहीं था।यूं कहे जूते में पैर डाल कर लैस को तब तक कसा जाता था जब तक पकड़ सही नहीं लगे।
एक दिन बेटे ने मुझे जूते पहनते देखा और अगले दिन महंगी कंपनी का जूता लाकर कहा, इसे पहनिए।ये कंफर्टेबल है। पहन कर देखा, कीमत पूछा तो कहा, पैर के हिसाब से बना जूता है। पहन कर चलिए।
सचमुच ,जूता आरामदायक था/है। कोरोना काल में जीवन थम गया था,सो जूता भी थमा रहा। ये जरूर था कि सम्हाल कर साफ सुथरा रखा था। 31अक्टूबर 2022को सेवा निवृत हुआ तो आठ महीने ऊहापोह में निकल गए। शरीर निढाल हो रहा था।ऊर्जा की आवश्यकता थी।एक दिन एक जिम के साइन बोर्ड पर नजर पड़ी "एस एस जिम"।54सीढ़ियों को चढ़ तीसरी मंजिल पर ये जिम है। नए बेसिक उपकरण दिखे।मन में लगा कि ये जगह ठीक है ।सुबह घूमने के। सुबह घूमने जाने पर कुछ लोग मिलते या टोलियां । इनकी चर्चा में विषय घरेलू या बीमारी या राजनीति ही होती। आशावाद का नाम नहीं ,केवल निराशाजनक बाते। अकेले घूमते घूमते पास से गुजर जाओ तो खुद ही वैचारिक रूप से बीमार महसूस होता। बस, फीस पूछा और अगले दिन याने 4जुलाई को मै जिम में था।
आज लगभग डेढ़ साल हो रहे है। इस अवधि में दो माह का समय जिम में जाने का नहीं हुआ अन्यथा नियमित हूं। (रविवार जिम बंद रहता है) मुझे न तो शारीरिक सौष्ठव प्रतियोगिता में भाग लेना है और न ही डोले सोले बनाना है।अपने आपको स्वस्थ और तंदुरुस्त रखना है बस।
एक से सवा घंटे पसीना बहाता हूं और वापस अपनी दिनचर्या पर। जिम में एक बात है, हर व्यक्ति कुछ न कुछ एक्टिविटी करते दिखता है, या कहिए मेहनत करते दिखता है।सकारात्मक ऊर्जा, दिखती है, मिलती है।
इसी जिम में दो ट्रेड मिल है। मेरा पसंदीदा उपकरण। औसतन ढाई किलोमीटर पच्चीस मिनट में चलता हूं। मेरा जूता इस चलायमान प्रक्रिया का सहयोगी रहा है। आज देखा जूता नीचे से फट रहा है। उसे मरम्मत की जरूरत है।
पिछले डेढ़ साल में मै 300दिन जिम गया और रोजाना ढाई किलोमीटर चला ।गणित लगाकर देखा750किलोमीटर का पद चालन हो चुका है। इस हिसाब से रायपुर से इंदौर की पद यात्रा हो गई है। मेरे कई मित्र रोजाना दस हजार कदम चलते है उनको भी अपनी यात्रा का आंकलन करना चाहिए कि वे कितनी अवधि में कितनी दूरी तय कर चुके है।जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह ओ शाम। आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दूं कि ये जूता केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री सहित रामेश्वरम की तीर्थ यात्रा कर चुका है।मोक्ष मिलना तय है
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