संविधान निर्माण और योगदान
लेखक- संजय दुबे
संसद में बड़ा हल्ला मचा हुआ है। संविधान से जुड़े भीम राव अंबेडकर की फोटो लहराई जा रही है।भीम राव अंबेडकर के प्रति लोगों के मन में बड़ी श्रद्धा है क्योंकि उन्होंने संविधान में आरक्षण की व्यवस्था को दस वर्ष तक के लिए रखा था और समीक्षा का विकल्प भी दिया था। अंबेडकर जानते थे कि आरक्षण भी अनुसूचित जाति और जनजाति में एक ऐसा वर्ग खड़ा कर देगा जिससे आरक्षण का रोटेशन कुछ परिवारों में सिमट जाएगा। अंबेडकर जीवित नहीं रहे और आरक्षण की समीक्षा चाह कर भी नहीं होती रही।
देखा जाए तो संविधान के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका संविधान समिति के विधि सलाहकार कर्नाटक के बेनेगल नरसिंह राव की रही थी। उन्होंने दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के संविधान का अध्ययन किया। जो सर्वश्रेष्ठ थी उनको साथ लेकर आए। इसी कारण देश का संविधान "उधार का संविधान"भी कहलाता है।
संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर सहित 6सदस्यो - कृष्णा स्वामी अय्यर, कन्हिया लाल माणिक लाल मुंशी,मोहम्मद सद्दुल्ला, एन. माधवराव, टी. टी.कृष्णमूर्ति, एन गोपाल स्वामी अय्यर, ने संविधान के प्रारंभिक प्रारूप सोपा था। संविधान सभा के विधि सलाहकार के रूप में बेनेगल नरसिंह राव का चयन पंडित जवाहरलाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल ने किया था। नरसिंह राव मद्रास और केंब्रिज से विधि के स्नातक रहे थे। 1910 में भारतीय सिविल सेवा में चयनित हुए थे।1939 में कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायधीश रहे।1944 में जम्मू कश्मीर के राजा हरिसिंह ने नरसिंह राव को जम्मू कश्मीर का प्रधानमंत्री बनाया था। नरसिंह राव 1945 से 1948 तक अमेरिका,ब्रिटेन,कनाडा आदि देशों का भ्रमण कर उनके संविधान का गहन अध्ययन किया था। नरसिंह राव द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक प्रारूप को प्रारूप समिति के सात सदस्यो ने चिंतन मनन कर सुधार कर सौंपा था।
संविधान के निर्माण की दास्तां भी रोचक है। बाल गंगाधर तिलक , अंग्रेजो की नियत को बहुत पहले ही भांप लिए थे इस कारण 1895 में उन्होंने संविधान सभा के गठन की मांग की थी। 1920 में महात्मा गांधी की अध्यक्षता में कामनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल में मांग दोहराई गई। 1930 में पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष बने तो भी ये मांग रखी गई।
6 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का गठन हुआ जिसके 389 सदस्य अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति से चयनित हुए। 9 दिसंबर 1946 को हुई पहली बैठक हुई। मुस्लिम लीग ने इसका पृथक राष्ट्र के नाम पर बहिष्कार किया। 15 अगस्त 1947 को देश के स्वतंत्र होने के बाद 299 सदस्य शेष रहे। 90 सदस्य पाकिस्तान के प्रांत के होने के कारण वहां चले गए। छत्तीसगढ़ जो तत्कालीन मध्य प्रांत और बरार ( Central province and barar) का हिस्सा था। यहां से घनश्याम गुप्ता(दुर्ग),किशोरी मोहन त्रिपाठी(रायगढ़)बैरिस्टर ठाकुर छेदी लाल (बिलासपुर) राम प्रसाद पोटाई (कांकेर) सहित पंडित रविशंकर शुक्ल भी संविधान सभा के सदस्य थे। इन सभी के हस्ताक्षर संविधान के मुख्य प्रारूप में है। 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पूर्ण हो गया।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आज से 75 साल पहले भी देश में महिलाएं आगे बढ़ रही थी। संविधान सभा में 15 महिलाएं अपना पक्ष रखी। ये महिलाएं थी - हंसामेहता,राजकुमारी अमृत कौर,दुर्गा बाई देशमुख,विजय लक्ष्मी पंडित,बेगम एजाज रसूल, दक्षिणामयि वेलामुदन, अम्मू स्वामी,सरोजनी नायडू,सुचेता कृपलानी, रेणुका रॉय, पूर्णिमा बनर्जी,लीला(नाग) रॉय,मालती चौधरी, एनी मैस्किन, और कमला चौधरी। इन्हे विशेष रूप से सम्मान मिलना चाहिए
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