रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर बोले मुख्यमंत्री योगी

feature-top

पांच सदी की प्रतीक्षा के बाद रामजन्मभूमि पर बना नव्य-भव्य मंदिर श्रीराम का ही नहीं, राष्ट्र का भी मंदिर है। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे सीएम योगी ने अपने संबोधन से इस अवधारणा को और पुष्ट किया।

रामजन्मभूमि परिसर से लगे अंगद टीला के प्रांगण में हजारों रामभक्तों, मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों, जन प्रतिनिधियों एवं तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों को सीएम ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि श्रीराम और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती।

श्रीराम हैं तो राष्ट्र है और राष्ट्र है तो श्रीराम हैं। इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पूर्व मुख्यमंत्री प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में स्थापित पौष शुक्ल द्वादशी की उस तिथि की महिमा का बखान कर रहे थे। भारतीय पंचांग के अनुसार, जिस तिथि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में एक वर्ष पूर्व रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिष्ठा द्वादशी वस्तुत: राष्ट्रीय एकात्मता की कड़ी मजबूत करने वाली होगी, ताकि हिंदू समाज जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर विभाजित न हो सके। उन्होंने याद दिलाया कि ऐसे ही विभाजन के चलते रामजन्मभूमि सहित हिंदू अस्मिता के पर्याय अनेक धर्म स्थलों को सदियों तक अपमान का सामना करना पड़ा।

उन्होंने सावधान भी किया कि यदि हिंदू समाज जाति और संकीर्ण वादों-विचारों के नाम पर विभाजित हुआ, तो हमारे गौरव के पर्याय धर्म स्थलों को पुन: अपमान का सामना करना पड़ेगा।


feature-top