दिल्ली में रोहिंग्याओं के बसने के स्थान बताएं एनजीओ: सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ से दिल्ली में रोहिंग्याओं के बसने के स्थानों और उन्हें उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताने को कहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एनजीओ रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस से एक हलफनामा दाखिल कर दिल्ली में उनके बसने के स्थानों के बारे में बताने को कहा।

गोंजाल्विस ने कहा कि एनजीओ ने रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच देने की मांग की थी, क्योंकि आधार कार्ड न होने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया था।

उन्होंने कहा, "वे शरणार्थी हैं जिनके पास यूएनएचसीआर कार्ड हैं और इसलिए उनके पास आधार कार्ड नहीं हो सकते। लेकिन, आधार के अभाव में उन्हें सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच नहीं दी जा रही है।"

पीठ ने कहा कि चूंकि अदालत के समक्ष कोई पीड़ित पक्ष नहीं था, बल्कि एक संस्था थी, इसलिए एनजीओ को हलफनामा दाखिल करना चाहिए जिसमें उनके बसने के स्थानों का उल्लेख हो और यह भी स्पष्ट हो कि वे शिविरों में रहते थे या आवासीय कॉलोनियों में।


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