महापौर, पार्षद चुनाव हारे!

लेखक- संजय दुबे

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 छत्तीसगढ़ की राजधानी के नगर निगम चुनाव में महापौर पद के लिए मीनल चौबे एक लाख बावन हजार मतों के अंतर से विजयी हुई।मीनल चौबे, को महापौर पद के लिए भाजपा से टिकट मिलते ही ये तय हो चुका था कि उनकी जीत सुनिश्चित है।चर्चा इस बात की थी उनके जीत का अंतर कितना रहेगा। मीनल चौबे की जीत में उनकी स्वच्छ छवि का बहुत बड़ा योगदान रहा है।वे पिछले पंद्रह साल से नगर निगम क्षेत्र में सक्रिय रही है।उन्हें बधाई। इस जीत की जितनी चर्चा हो रही है उतनी ही चर्चा वर्तमान महापौर एजाज ढेबर के उस वार्ड से पराजय की भी हो रही है जिस वार्ड से उनके पहले के महापौर प्रमोद दुबे की जीते थे। एक महापौर इतना कुख्यात हो जाए कि एक सम्प्रदाय विशेष के वार्ड से भी पार्षद चुनाव जीत न सके तो ये बात भी मन में आती है कि पिछली सरकार ने एजाज ढेबर को रायपुर का महापौर बनाने के लिए प्रत्यक्ष चुनाव पद्धति को बदल कर पार्षदों के माध्यम से चुनाव करवाने का काम किया था। ऐजाज ढेबर के लिए मायूसी का दूसरा सबब ये भी है कि उनकी पत्नी चुनाव जीत गई है।आगे के पूरे पांच साल वे रायपुर सहित देश राज्य में पार्षद पति(PP) के रूप में जाने जायेंगे।जिस व्हाइट हाउस में एजाज ढेबर बीते सालों में बतौर पार्षद और महापौर के रूप में जाया करते थे, वहां हैसियत के रूप में पूर्व महापौर और पराजित पार्षद का ही होगा।

 रायपुर नगर निगम में भाजपा के डा रमन सिंह के कार्यकाल में महापौर के सही प्रत्याशी के चयन न होने के कारण दो बार प्रमोद दुबे और डा किरणमयी नायक ,महापौर निर्वाचित हुई थी।ये विजय कांग्रेस के लिए प्रेरणादायक थी क्योंकि सत्ता में भाजपा के होने के बावजूद भाजपा को हार का चेहरा देखना पड़ा था। कांग्रेस सत्ता में आई तो नगरीय निकाय चुनाव में महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव पद्धति को केवल और केवल रायपुर के चलते पूरे प्रदेश में बदल कर अप्रत्यक्ष चुनाव पद्धति लागू कर दिया। 

पिछला पांच साल एजाज ढेबर नाम के महापौर थे काम के नहीं, शहर को सुंदर बनाने के नाम पर गड़बड़ियां हुई उसका खुलासा होना अभी बाकी है। कांग्रेस शासनकाल में ढेबर परिवार के कुछ सदस्यों पर घोटालों के आरोप लगे।एक भाई, विद्या चरण शुक्ल के करीबी राम अवतार जग्गी की हत्या के लिए उच्च न्यायालय से हत्यारा घोषित होते हुए जेल में सजा काट रहे है।एक भाई शराब,राशन चांवल घोटाले के चलते ईडी और एसीबी के द्वारा जेल में आरोपी है। परिवार के कई सदस्यों को जांच एजेंसी नोटिस भेजी हुई है। ऐसा नहीं है कि ढेबर परिवार, कांग्रेस के सत्ता में आने के कारण चर्चित रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में संगठित गुंडागर्दी के लिए कुख्यात हुए थे।कांग्रेस के दूसरे कार्यकाल में भी यही टीम को सरकार में तवज्जो मिली।

 वर्तमान सरकार ने सत्ता में आते ही प्रत्यक्ष चुनाव पद्धति को नगरीय क्षेत्र में लागू किया और साहस दिखाया कि उनके सहित कांग्रेस भी दमखम दिखाए।ट्रिपल इंजिन की सरकार के नारे के साथ रायपुर नगर निगम के महापौर का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ तो आम नागरिकों ने भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी चयन से पहले ही बता दिया कि मीनल चौबे से उपयुक्त कोई अन्य चेहरा नहीं होगा। मीनल चौबे पार्षद और नेता प्रतिपक्ष रही है।उनकी छवि निर्विवाद रही है।वे आम तौर पर एक अच्छे वक्ता के रूप में जानी जाती है।उनके लिए रायपुर को राजधानी के प्रतिष्ठा के अनुरूप बनाने का दायित्व तो होगा ही साथ साथ साफ सुथरा बनाने के लिए प्रशासनिक कसावट दिखाना होगा। सर्व विदित है कि वार्ड में स्वच्छता कर्मियों की संख्या में खेल चल रहा है। कहने को संख्या कुछ होती है वार्ड में दिखते कुछ और है। यदि सही संख्या में स्वच्छता कर्मी सफाई कार्य करे तो रायपुर स्वच्छता में आगे बढ़ सकता है।एक उम्मीद और भी है, रायपुर में कार की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। लोगों के घर में कार रखने की जगह नहीं है और खुले आम सड़कों में गलियों में कार खड़ी करते है। एक नियम की चर्चा थी कि घर के बाहर कार खड़ी करने पर मासिक एवं सालाना कर देना होगा।इसे लागू करने से निगम को अतिरिक्त आय होगी और कार व्यवस्थित खड़ी हो सकेंगी। एक सुझाव और है कि निगम वार्षिक कर प्राप्त करता ही है आम नागरिकों को अग्रिम कर भुगतान करने पर छूट का प्रावधान दे सकता है।


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