रणजी ट्रॉफी के धुरंधरों को टेस्ट क्रिकेट नसीब नहीं
लेखक - संजय दुबे
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हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भारत की तरफ से अंतरास्ट्रीय मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफी मैच में खेलना अनिवार्य कर दिया ।इसके चलते विराट कोहली जैसे खिलाड़ी को भी रणजी ट्रॉफी मैच खेलना पड़ा।दीगर खिलाड़ी भी अपने अपने टीम के साथ खेले।इससे इनके भाव कम हुए और रणजी में खेलने वालों के भाव भी बढ़े।
भारत में एक समय ऐसा भी रहा कि खिलाड़ियों ने रणजी ट्रॉफी मैच में शानदार प्रदर्शन कर टेस्ट टीम में आए।कालांतर में एकदिवसीय और टी ट्वेंटी मैच का प्रदर्शन भी आधार बना और ये शॉर्ट कट बहुत खिलाड़ियों का केरियर बना रहा है।
भारत में हर राज्य के खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए रणजी ट्रॉफी मैच आधार है लेकिन एक बात और देखने को मिलती है कि रणजी ट्रॉफी मैच में बेहतर बल्लेबाजी करने वालो को टेस्ट क्रिकेट में मौका नहीं मिलता रहा है। रणजी ट्रॉफी मैच में अठारह बल्लेबाजों ने पांच हजार से ज्यादा रन बनाए है। शुरुआती दस बल्लेबाजों में से नौ ने दोहरा शतक लगाया है। न्यूनतम चौदह और अधिकतम छब्बीस शतक लगाए है लेकिन इनमें से केवल दो हनुमा विहारी
और वसीम जाफर को ही टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला है। केवल हनुमा विहारी और पी के पांचाल ,दो ऐसे खिलाड़ी है जो वर्तमान में खेल रहे है बाकी रणजी ट्रॉफी मैच तक सीमित रह कर क्रिकेट जीवन को अलविदा कह चुके है।
हिमाचल प्रदेश के पारस डोंगरा94 रणजी ट्रॉफी मैच खेल कर 7068रन बनाए है। 26शतक और 18अर्ध शतक लगाए।अधिकतम 253रन बनाए लेकिन टेस्ट नहीं खेल पाए।सौराष्ट्र के एस पी जैक्सन(6653),विदर्भ के फ़ैयाज़ फजल(6398), हरियाणा और सर्विसेस के आर एस पालीवाल (6338),महाराष्ट्र के ए आर बावने (5927), झारखंड के एस एस तिवारी (5817) ,गुजरात के पी के पांचाल(5772), के अलावा मणिपुर,सिक्किम, सर्विसेज के साथ साथ त्रिपुरा से खेलने वाले यशभान सिंह (5719)रन बनाने के बावजूद भारत के टेस्ट टीम में शामिल नहीं हो सके।
एस पी तारे,मनदीप सिंह, जीवनजोत सिंह, एम के तिवारी,सचिन बेबी, ए वी वासदेवा,आर समर्थ, और गणेश सतीश भी रणजी ट्रॉफी मैच में पांच हजार से ज्यादा रन बनाए है लेकिन इनके नाम के सामने देश की तरफ से टेस्ट खेलना नसीब नहीं लिखा है।
गुजरात के पांचाल 314नाबाद रन की भी पारी खेले लेकिन चयनकर्ताओं को प्रभावित नहीं कर पाए। रणजी ट्रॉफी मैच में एम पी जैक्सन को छोड़ सभी बल्लेबाजों ने दोहरा शतक भी लगाया हुआ है।जो ये तो तय करता है कि इन खिलाड़ियों में टेंपरामेंट था लेकिन जिस क्रम के ये बल्लेबाज रहे उस क्रम पर दसों साल स्थाई प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी टेस्ट टीम में रहे।
रणजी ट्रॉफी मैच में जिन अठारह बल्लेबाजों ने पांच हजार से ज्यादा रन बनाए उनमें केवल दो खिलाड़ी मुंबई और विदर्भ से खेलने वाले वसीम जाफर और आंध्र प्रदेश और हैदराबाद से खेलने वाले हनुमा विहारी को ही टेस्ट खेलने का मौका मिला। वसीम जाफर 31टेस्ट खेले1944रन बनाए और अधिकतम 212रन की पारी खेले। हनुमा विहारी ने 16 टेस्ट खेले एक शतक की मदद से 839रन बनाए और 180रन देकर 5विकेट लिए।
रणजी ट्रॉफी की सार्थकता के लिए ये लेख प्रश्न उठाता है कि क्या इस ट्राफी के मैचों में किया गया प्रदर्शन सही में कोई मायने रखता है ?
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