किन्हें मिले भारत रत्न
लेखक- संजय दुबे

देश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान के रूप में "भारत रत्न" दिए जाने की परंपरा है।1954से शुरू हुए इस सम्मान को पाने के लिए जो मापदंड है उसमें कला, विज्ञान,साहित्य सहित सार्वजनिक सेवा और सचिन तेंडुलकर को देने के लिए जोड़ा गया "खेल" भी शामिल है। इन क्षेत्रों में उत्कृष्ट अनुकरणीय योगदान के लिए दिए जाने का निर्णय लिया गया था।सूची देखने के बाद स्वयं ही जानकारी मिल जाती है कि कितने योग्य लोग "भारत रत्न" है।
भारत रत्न पाने, मांगने और दिलाने वालों का एक वर्ग खड़ा होते जा रहा है। हर राजनैतिक दलों के पास अपने अपने हेवीवेट नेता है, मांगने में क्या जाता है। राजनीति के माध्यम से राज्य, देश सेवा करने वालो की फेरहिस्त कला, विज्ञान,साहित्य और खेल की तुलना में सबसे लंबी है।पंच से लेकर राष्ट्रपति पद के निर्वाचित व्यक्ति जन सेवा करता है,केवल संख्या का फर्क है।
बड़ी बात नहीं है कि ग्राम सभा से अनुमोदन करा कर कोई व्यक्ति भारत रत्न मांग ले। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के नेताओं सहित राज्य के ऐसे लोग जो अनुकरणीय योगदान दिए है या समय रहते मूल्यांकन नहीं हुआ तो इस दुनियां में नहीं है लेकिन उनके कार्य तो है।महाराष्ट्र विधानसभा ने महात्मा ज्योतिराव फूले और सावित्री बाई फूले को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। दोनों ने महिलाओं और बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपना जीवन लगा दिया था।
चाटुकारिता की हद तो तब हो गई जब बिहार विधान सभा में लालू प्रसाद यादव को भारत रत्न देने का प्रस्ताव रखा गया। लालू प्रसाद यादव के लिए शर्मनाक बात ये रही कि उनके राज्य के विधान सभा में इस प्रस्ताव को बहुमत नहीं मिला। लालू प्रसाद यादव कानून द्वारा अपराधी सिद्ध पाए गए है।सजा याफ़्ता कैदी है। उन पर चारा घोटाले आरोप प्रमाणित पाया गया है।नौकरी के बदले जमीन के रूप में रिश्वत लेने का आरोप है। सरकारी नौकरी में जिस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर हो जाती है उसे निलंबित कर दिया जाता है।
लालू प्रसाद यादव के खिलाफ अनगिनत एफआईआर है।इसके बावजूद भारत रत्न के लिए लालू प्रसाद यादव का नाम का प्रस्ताव भी शर्मनाक है। इस देश में पैसे की बहुत अहमियत है।विजय माल्या जैसे शराब सिंडिकेट से ताल्लुक रखने वाले निर्दलीय राज्य सभा में निर्वाचित हो जाते है।संसद और राज्यों के विधान सभा में गंभीर धाराओं के अपराध में लिप्त व्यक्तियों की बड़ी फौज है।शहाबुद्दीन,अतीक अहमद को राजनैतिक दल संरक्षण देते है जन प्रतिनिधि बनाते है। जन सेवा के लिए तो ये लोग भी अपना नाम भारत रत्न के लिया बढ़वा सकते थे( दिमाग में नहीं आया होगा)। लोक सभा में जिस पार्टी का बहुमत रहा उन्होंने भारत रत्न में अपना को स्वाभाविक रूप से प्राथमिकता दी। जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने प्रधान मंत्री रहते हुए भारत रत्न ले लिया था। ये दोनों तो एक दशक से ज्यादा जन सेवा किए थे। राजीव गांधी सिर्फ पांच साल मे जन सेवा कर भारत रत्न हो गए।
सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न बहुत सालों तक नहीं दिया गया। जनसेवा करने वालो को भारत रत्न मिलने वालों की संख्या 53व्यक्तियों में 24है। साहित्य,कला, विज्ञान और खेल के क्षेत्र से 29व्यक्ति भारत रत्न हुए है। भारत का प्रधान मंत्री होना, भारत रत्न की प्रथम प्रावीण्यता है ।जवाहर लाल नेहरू,इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, मोरार जी देसाई, चरण सिंह ( बिना संसद में बहुमत पाए) पी वी नरसिम्हा राव,अटल बिहारी बाजपेई, को भारत रत्न मिला हुआ है। केवल वी.पी,सिंह और चन्द्र शेखर बचे है।
एनडीए के गठबंधन में चंद्र शेखर के सुपुत्र है इसलिए संभावना है कि आगामी तीन चार साल में चंद्र शेखर भी मरणोपरांत भारत रत्न बन जाए। लालू प्रसाद यादव को भारत रत्न बनाए जाने की प्रेरणा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को कुछ साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भारत रत्न मिलने से मिली होगी। असम और तमिलनाडु मुख्य मंत्री बारदौली और एम जी रामचंद्रन भारत रत्न से सुशोभित है लेकिन ये दोनों मुख्यमंत्री दागदार नहीं थे। भाजपा के पास कांग्रेस के सत्ता में रहते जनसेवा करने वालो की फेरहिस्त नहीं थी।उन्होंने खंगाल के नाना जी देशमुख को मरणोपरांत भारत रत्न बनाया। पिछले साल तो लाल कृष्ण आडवाणी को छोड़ तीन व्यक्ति पी वी नरसिम्हा राव,चौधरी चरण सिंह,कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया। ये भी अच्छा हुआ कि भाजपा के पास लोग नहीं थे इस कारण उन्होंने उपेक्षित कांग्रेसियों को खोजा ।प्रणव दा मिल गए, बारदोली भी मिल गए।कला क्षेत्र के कुछ लोग राज्य की राजनीति के लिए साध लिए गए।
भारत रत्न देने और पाने में बहुत अंतर है। कभी भारत रत्न व्यक्ति को मिला तो पुरस्कार सम्मानित हो गया जैसे ए पी जे कलाम,पी सुब्बालक्ष्मी, लता मंगेशकर, सत्यजीत राय,।इसलिए देश के सर्व श्रेष्ठ सम्मान की गरिमा बनी रहे, इसकी चिंता करना जरूरी है

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