बूथ से विचाराधारा तक की चुनौतियों पर मंथन करेगी कांग्रेस

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गुजरात में छह दशक बाद हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन में वर्तमान दौर में राजनीति के बदले स्वरूप तथा वैचारिक लड़ाई की गंभीर हुई चुनौतियों से मुकाबला करने को लेकर देश भर से जुटने वाले अपने जमीनी नेताओं से चर्चा तो करेगी ही।

साथ ही पार्टी का जोर इस पर सबसे अधिक होगा कि नीचे से लेकर उपर तक के संगठनात्मक ढांचे को इस दोहरी लड़ाई के लिए प्रभावी तरीके से तैयार किया जाए। भाजपा सरकार तथा संघ परिवार से जुड़े राजनीतिक मुद्दों पर अपने नेताओं की वैचारिक दुविधा को कांग्रेस इस बैठक में जहां खत्म करने का प्रयास करेगी वहीं बूथ से लेकर एआईसीसी तक संगठन को शक्तिशाली और जुझारू बनाने पर भी दो दिनों तक मंथन करेगी।

अधिवेशन में जिला अध्यक्षों से कांग्रेस उनके इलाके की मतदाता सूचियों में गड़बड़ी रोकने से लेकर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की निरंतर निगरानी करने जैसे मसले पर भी चर्चा करेगी।

अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को होने वाले अपने अधिवेशन में गांधी-नेहरू-पटेल की विचाराधारा की विरासत पर ही टिके रहने का जमीनी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया जाएगा।


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