क्या धोनी पैसे के लिए खेल रहे है..!
संजय दुबे

"थ्री इडियट्स" फिल्म में एक किरदार याद होगा आपको- "रेंचो" का जिसका पूरा नाम रणछोड़ दास चाँचड़ था, कालांतर में ये नाम फुनसुख वांगडू बनता है ।ये चरित्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी मशहूर इंजिनियर सोनम वांगचुक की रियल लाइफ का रील लाइफ में रूपांतरण था।
इस फिल्म का रेंचो, एक रहस्यमय व्यक्तित्व का किरदार था, जो कब क्या कर बैठे ये केवल वही जानता था। ऐसा ही एक किरदार भारतीय क्रिकेट में 2007में आया , देखते देखते धूमकेतु की तरह उभरे, देश को अंतरास्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। उनकी कप्तानी में भारत टी ट्वेंटी और वनडे का विश्व चैंपियन बना।
2008 से 2014 तक धोनी क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट के कप्तान रहे। धोनी, अंतरास्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड के लिए नहीं खेले, ये उनको क्रिकेट का रेंचो साबित करने के लिए पर्याप्त रहा। 90 टेस्ट खेलकर धोनी ने अचानक ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। भारतीय क्रिकेट में स्थापित क्रिकेटर्स को ढोने की परंपरा है। सचिन तेंडुलकर को 200टेस्ट खिलाने के लिए 14टेस्ट ढोना पड़ा। कपिलदेव को, रिचर्ड हैडली का सर्वाधिक टेस्ट विकेट के रिकॉर्ड के लिए 10टेस्ट ढोना पड़ा। धोनी चाहते तो 10टेस्ट खेल कर 100टेस्ट खेलने वाले भारतीय क्रिकेटर्स में शामिल हो सकते थे लेकिन अपने शरीर और मस्तिष्क की बात मानकर विदा हो गए, रैंचो बन गए। 2017में टी ट्वेंटी से विदा हुए तो 98अंतरास्ट्रीय मैच के पायदान पर थे।
दो मैच खेल कर मैच का शतक ठोक सकते थे लेकिन एक बार फिर "रैंचो" बन गए। 2019में 350वनडे खेल कर शायद अपनी खिलाड़ी उम्र 38 साल को भांप कर विराम दे दिए। 15 अगस्त 2020 को धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट से संन्यास ले लिया। सभी को लगा कि कैप्टन कूल अपनी अहमियत बनाए रखने में माहिर रैंचो है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के साथ साथ एक और क्रिकेट आयोजन ने क्रिकेट खेलने वाले देशों में धाक जमाई है वो है इंडियन प्रीमियर लीग याने आईपीएल, कहने के लिए ये मालिकों के द्वारा खरीदे गए देश दुनियां के खिलाड़ियों की टीम का आपसी प्रदर्शन है।
ये फुटबॉल के क्लब आयोजन का रूप है। प्रत्यक्ष रूप से दस क्लब है।जिनके मालिक या तो बड़े व्यापारिक संस्थान है या व्यक्ति है या फिल्म इंडस्ट्री के सितारे है। पिछले अठारह साल से आईपीएल दौड़ रहा है।खेल के आड में ऑफ और ऑन लाइन सट्टा भी दौड़ रहा है।बैटिंग ऐप में खिलाड़ी और फिल्मी सितारे लुभा रहे है।कम समय में कम पैसे में अमीर बनने वाले लालची लोग पेले पड़े है।तीन करोड़ रुपए सिर्फ दो महीने में? इसी आईपीएल में क्रिकेट का रैंचो भी फंसा हुआ हैं याने महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट खेल रहे है या अपने को भुना रहे है? ये प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि शरीर साथ दिमाग भी साथ नहीं दे रहा है।
केवल अनुभव के बल बॉल को धकेल रहे है।इतना अनुभव तो है कि एकात दो चौके छक्के लग भी जाए लेकिन "फिनिशर" का लेबल हट चुका है। धोनी सहित उनके घोर प्रशंसकों को आपत्ति हो सकती है क्लब क्रिकेट में देशभक्ति जैसी भावना नहीं है फिर क्यों पेट में दर्द हो रहा है। चेन्नई सुपर किंग्स के वे दर्शक जो121डेसिबल की स्पीड में शोरगुल कर रहे है वे धोनी से वैसी ही उम्मीद लगाए है जैसे 2011 के फाइनल में धोनी ने प्रदर्शन किया था। सच तो ये है कि अब धोनी क्रिकेट के ब्रांड नहीं है बल्कि। व्यापारिक कंपनियों के ब्रांड बनकर अपने को बेच रहे है इसी कारण क्लब क्रिकेट में खेल रहे है। व्यवसायिक कंपनी खेल से बाहर हुए खिलाड़ियों पर दांव नहीं लगाती है ये धोनी जानते है। वे जानते है कि चैनई सुपर किंग्स को इतना दे चुके है कि उनको पचास साल की उम्र तक खिला लेगी ये मानकर कि ग्यारह खिलाड़ियों में एक न एक खिलाड़ी शून्य पर आउट होता ही है। प्रश्न दर्शकों का है जो सात सौ से बीस हजार की टिकट कटा कर क्रिकेट देखने जाते है वे क्या देखे अगरबत्ती बेचने वाले धोनी को या डेढ़ साल चलने वाले लोहे के चैंबर बेचने वाले धोनी को रैंचो, रण (नहीं) छोड़ रहा है

About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS