यूपीएससी परिणाम में एक बार फिर महिला टॉपर
संजय दुबे

यूपीएससी2025 के परिणाम घोषित हो गए है। पहले पायदान पर कुंभ की नगरी प्रयागराज की शक्ति दुबे है, दूसरे स्थान पर हर्षिता गोयल और छठवें स्थान पर कोमल पुनिया और सातवें स्थान पर आयुषी बंसल है । 1951 से लेकर 2024 तक 13अवसरों में लड़कियों ने देश में पहला स्थान तो अर्जित किया है।
ये इशारा कर रहा है कि देश मे सही में बेटी पढ़ रही है और आगे भी बढ़ रही है। 2021में श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल और गामिनी सिंगला पहले तीन स्थान पर काबिज हुई थी। 2022 में चार लड़कियां इशिता किशोर,गरिमा लोहिया, उमा हराथी औऱ स्मृति मिश्रा ने पहले चार स्थान पर काबिज हुई थी। इस बार पहले दस स्थान में चार स्थानों पर चयनित युवतियां भविष्य की कलेक्टर है। शैक्षणिक परीक्षाओं में वैसे भी लड़कियां बाजी मारते आ रही है। लड़को को अब लड़को के अलावा लड़कियों से भी कड़ी प्रतिद्वंद्विता करनी पड़ेगी ये भी विशेष रूप से उल्लिखित होता है। भारत के संविधान में संघ लोक सेवा आयोग की व्यवस्था रखी गयी है जो भारतीय प्रशासनिक, पुलिस, वन सहित अन्य केंद्रीय सेवाओ के लिए योग्य व्यक्तियों का चयन परीक्षा के माध्यम से करती है।
देश की सर्वाधिक प्रतिष्ठित परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए संघ लोक सेवा की परीक्षा को माना जाता है।1951 से ये परीक्षा आयोजित हो रही है। लड़कियों की इसमे सहभागिता और सफलता के आंकड़े शुरुवाती दौर में अत्यंत ही नगण्य थे 1951 से लेकर 1972 तक केवल 9 % लडकिया ही चयनित हो पाई थी। वर्तमान में ये हिस्सेदारी बढ़ कर 31 % हो गई है। ये महिला सशक्तिकरण का प्रतिशत है जिस पर आधी आबादी सहित पूरी आबादी को फक्र होना चाहिए। एक जमाना था जब लड़कियों को ज्यादा इस लिए नही पढ़ाया जाता था कि ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की की शादी नही होगी। पुरुष सत्तात्मक समाज मे पुरुषो के बीच या साथ सरकारी सेवा में अबला को सबला बनाने में तमाम अवरोध लगे। लाखो लड़कियों ने सामाजिक मजबूरियों के चलते अपने पैर रोके औऱ अपना जीवन चूल्हा औऱ परिवार में झोंक दिया। इसे संभावना के भ्रूण की हत्या ही माना जाना चाहिए। 2000 के बाद से देश के नागरिकों की सोच में बदलाव आया और निश्चित रूप से लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी के प्रति दृष्टिकोण में भी परिवर्तन देखने को मिला।
इसके अलावा इंटरनेट ने देर रात चलने वाले मेनुवल कोचिंग से भी निजात दिला कर घर पर ही पढ़ाई के लिए आदर्श वातावरण भी सहयोगी रहा। ये भी कह सकते है कि सहशिक्षा के तरीके ने पढ़ाई में लड़कियों के लिए बेहतर विकल्प खोजे। वे लैंगिक संकोच के दायरे से भी बाहर निकली। इसकी पुष्टि ऐसे भी होती है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए होने वाली परीक्षा में केवल 1973 में निरुपमा राव औऱ 1998 में भावना गर्ग ने पहला स्थान अर्जित किया था। 2000 से लेकर 2024 तक के सालो में 13 साल लड़कियों ने लड़को को धताते हुए देश की टॉपर बनी। विजय लक्ष्मी तिवारी (2000),रूपा मिश्रा(2003),मोना पुरथि(2005), शुभ्रा सक्सेना (2008),एस. दिव्यदर्शनी (2010),डॉ स्नेहा अग्रवाल (2011),हरिथा व्ही कुमार(2012) टीना डाबी(2015),नंदनी. के . आर(2016),श्रुति शर्मा (2021)इशिता किशोर(2022) और अब इनमें शक्ति दुबे का नाम शामिल हो गया है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भारतीय सेवा संवर्ग के लिए आयु सीमा औऱ अवसर की सीमितता रही ।
इस कारण हर साल नए प्रतिद्वंद्वियों से स्पर्धा करना कठिन होते जाता है। निरूपमा यादव,भावना गर्ग, रूपा मिश्रा, औऱ टीना डाबी चार ऐसी लडकियां रही जिन्होंने पहले प्रयास में पहला स्थान अर्जित किया। 2022 की प्रथम स्थान पर आने वाली इशिता किशोर पहले दो प्रयास में प्रिलिमिनरी नही निकाल पाई थी लेकिन निराश होने के बजाय कमर कसी औऱ ऐसा बेहतर परिणाम दिया।। 2010,2011, 2012, 2015, 2016, 2021, 2022 और 2025लड़कियों के सफलता का साल रहा है। संघ लोक सेवा आयोग को अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता के लिये अनिवार्य विषय का चयन मायने रखता है। 1973 से 2022 तक प्रथम आने वाली लड़कियों ने राजनीति शास्त्र, अर्थ शास्त्र, समाज शास्त्र, मनो विज्ञान, के अलावा स्थानीय भाषा, का चयन किया लेकिन 1998 में प्रथम आने वाली भावना गर्ग का अनिवार्य विषय गणित और रसायन शास्त्र था।शक्ति दुबे ,बायो केमेस्ट्री की विद्यार्थी रही हैं। अंत मे ज्ञान की एक बात वो ये की प्रथम महिला आईएएस अफसर 1951 में चयनित हुई थी।अन्ना राजम मल्होत्रा उनका नाम है। वे 7 मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का अनुभव रखती थी। उन्हें सराहनीय कार्य के लिए पदम् भूषण पुरस्कार भी मिला था।

About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS