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आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म एवं अद्वैत वेदांत से संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधा : अरुण साव

जगद्गुरु स्वामी शंकराचार्य का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने मात्र 32 वर्ष की अल्पायु में सनातन धर्म को न केवल फिर से जीवित किया, बल्कि उसे एक दार्शनिक और सामाजिक आधार भी प्रदान किया।
उनके अद्वैत वेदांत का सिद्धांत हमें सिखाता है कि "ब्रह्म सत्यं, जगत् मिथ्या".... अर्थात् ईश्वर ही एकमात्र सत्य है और हम सभी उस परम सत्य का अंश हैं। उन्होंने दशनाम संप्रदाय की स्थापना कर हमें एक संगठित ढांचा दिया, जिस पर आज हमें गर्व हैं। उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने आज राजधानी रायपुर के शहीद स्मारक भवन में छत्तीसगढ़ सनातन दशनाम गोस्वामी समाज द्वारा आयोजित जगद्गुरु शंकराचार्य जयंती उत्सव समारोह में ये विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कार्यक्रम में रायपुर में गोस्वामी समाज के सामाजिक भवन के लिए 25 लाख रुपए देने की घोषणा की। उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि जगद्गुरु स्वामी शंकराचार्य ने सनातन धर्म एवं अद्वैत वेदांत से संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधा। आज उनके आदर्शों को छत्तीसगढ़ सनातन दशनाम गोस्वामी समाज आगे बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य कमजोर पड़ रहे हैं, हमें शंकराचार्य जी के संदेश को और अधिक प्रभावी ढंग से जन-जन तक पहुंचाना होगा। हमारी युवा पीढ़ी को सनातन धर्म के महत्व से अवगत कराना होगा। श्री साव ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से जगद्गुरु शंकराचार्य के आदर्शों को जीवन में उतारने और छत्तीसगढ़ में सनातन को और अधिक सशक्त करने का आह्वान किया।
उन्होंने कार्यक्रम में गोस्वामी समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं एवं विशेष उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया। महंत डॉ. रामसुंदर दास और महंत श्री विवेक गिरी सहित गोस्वामी समाज के पदाधिकारी एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे।


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