बदले का रंग और सिंदूर

संजय दुबे

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22अप्रैल 2025का दिन भारत के 26 परिवारों सहित हर परिवार के व्यक्ति के लिए त्रासदी और नाराजगी के चरमोत्कर्ष का दिन था। पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने पहलगाम में पर्यटकों के धर्म के पहचान के लिए "कलमा" पढ़ने के लिए कहा।पुरुषों के पेंट उतरवाई, खतना पुख्ता किया।ये पुख्ता होने पर व्यक्ति मुसलमान नहीं है, हिंदू है,उसकी नृशंस हत्या कर दी।

ये कायर कारनामा परिवार के सदस्यों के सामने किया गया। दुख और नाराजगी का विषय ये भी था कि इस सामूहिक नर संहार में देश की बेटियों का सुहाग उजड़ गया। दो बेटियां तो ऐसी थी जिनके विवाह के दिन सात और साठ दिन ही थे। इनके सिंदूर को उजाड़ने के लिए पाकिस्तान के प्रशिक्षित आतंकवादी सहित कश्मीर के स्थानीय मुसलमानों के मदद से किसी को इंकार नहीं है।

देश में भावनाओ का उबाल, क्रोध की सीमा, बदले की भावना का बवाल 22अप्रैल के बाद बढ़ते जा रहा था।देश का हर देशभक्त नागरिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद कर रहा था कि पहलगाम की घटना का ऐसा बदला लिया जाए जिससे सबसे पहले उन बेटियों सहित उनके परिवारों को राहत मिले। देशवासियों के जेहन में पहली भावना ये थी कि पाकिस्तान पर ताबड़तोड़ आक्रमण कर नेस्तनाबूद कर दिया जाए।

यही जिन महिलाओं का सिंदूर उजड़ा है उनके भावनाओ का सम्मान होगा। किसी भी देश की सरकार, जन भावनाओं के प्रति जवाबदेही मानी जाती है।पहलगाम की दुखद घटना के बाद देश के लोगों ने मोदी सरकार से उम्मीद की। देश का ये भी दुर्भाग्य है कि संकटकाल में राजनैतिक दल, अपनी रोटी सेकने में लग जाते है।22अप्रैल से 6मई तक सरकार को लानत भेजी गई। मींस बने, कार्टून बने, उपहास हुआ,।सुरक्षा में चूक की बात कही गई। दूसरी तरफ सरकार ने पाक फौज के इस षडयंत्र को समझा कि उनके देश में जनता में गिरते लोकप्रियता और इमरान खान की बढ़ती लोकप्रियता के काट के रूप में प्रशिक्षित आतंकवादियों को भेज कर धर्म के आधार पर भारत के भीतर साम्प्रदायिक दंगा कराने का षडयंत्र रचा।

हमारे देश को 26 पुरुष नागरिकों का बलिदान देना पड़ा लेकिन पाकिस्तान को जवाब भी ऐसा मिल रहा है कि पेंट गीली हो रही है। भारत सरकार ने बड़ी ही सूझबूझ से क्रमानुसार अपनी नीति को अंजाम दिया। पानी बंद किया। पाक नागरिकों को वापस भेजा। वाघा बॉर्डर बंद किया।आयात बंद किया।पोस्टल सर्विस बंद किया। अपने घर को सुरक्षित किया और फिर देशवासियों की जनभावनाओं के अनुरूप एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के घर में घुस कर दिखा दिया कि तुम भले ही नपुंसक हो,लेकिन देश का दिल शेर का है। आतंकवादियों के नौ स्थानों पर जमकर बमबारी की गई। एटॉमिक बम रखने की धमकी देने वाला पाकिस्तान प्रतिकार करने का साहस ही नहीं दिखा पाया। शेर के दहाड़ के सामने मिमियाते दुम दबाए नतमस्तक है। 1947में विभाजन के पैरवीकारो और पाकिस्तान को आर्थिक लाभ देने वालों के चलते भारत, धर्म के आधार पर विभाजित देश के अधर्म को पिछले 77साल से भुगत रहा है। अपने देश में आतंकवादियों को सेना के द्वारा प्रशिक्षित करते है, हथियार देते है और दुर्भाग्य है कि भारत के भीतर के रह रहे मुसलमानों में से कुछ अपने सच्चे मुसलमान होने का धर्म निभा कर संरक्षण देते है,अवसर उपलब्ध कराते है। अब जबकि भारतीय वायु सेना ऑपरेशन सिंदूर के द्वारा करारा जवाब दे दिया है तो देश की बेटियों को मानसिक संबल मिला है, मृतात्माओं को शांति मिली है। पीड़ित परिवारों को ढांढस बंधा है कि देश की सरकार उनके साथ खड़ी है। पाकिस्तान के साथ किया गया वर्तमान बर्ताव पर्याप्त नहीं है। विषैले सांप के फन को पूरी तरह कुचलना जरूरी है। 77साल के आतंकवादी नासूर का स्थाई इलाज जरूरी है। देश की संप्रभुता के लिए हमें बालाकोट या पहलगाम की घटना के होने के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने के बजाय नियमित रूप से उनके आतंकवादी केंद्रों का सत्यानाश हमारी सेना को आदत हो जाना चाहिए। पाकिस्तानी आतंकवाद को खत्म करने के लिए आपरेशन सिंदूर के बाद आपरेशन खतना चलना चाहिए जिसमें आतंकवादियों के सर काटने के अलावा गोलियों से शरीर छलनी करने का काम निरंतर चलना चाहिए।


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