विजय"शाह" की पराजय दर पराजय

संजय दुबे

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कानून में एक व्याख्या है जितना बड़ा वाहन, उतनी बड़ी सावधानी, ये व्याख्या जिम्मेदार पदों पर कार्य करने वालो पर समान रूप से लागू होती है।इसका उल्लंघन किए जाने पर कितनी परेशानी होती है इसका उदाहरण मध्य प्रदेश के बड़बोले मंत्री विजय शाह की हालत देख कर लगाई जा सकती है।

दो दो बार लिखित सार्वजनिक माफी नामा के बावजूद एफ आई आर दर्ज हो गई है। मंत्री के खिलाफ पुलिस ने लीपापोती करी तो मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। अब एसआईटी बैठा दी गई है और 28मई तक रिपोर्ट देना है। जो मामला एक थानेदार निपटा सकता था लेकिन सत्ता के भय के चलते लल्लो चप्पो में सत्यानाश कर दिया ।

अब तीन आईपीएस अफसर जांच करेंगे जिसमें एक महिला आई ए एस अफसर भी होंगी। हाल ही में आपरेशन सिंदूर के रिपोर्टिंग के लिए सेना ने देश की भावना को ध्यान में रखते हुए दो महिला अफसरों को जानकारी देने के लिए अधिकृत किया था। दोनों महिला अफसरों की नियुक्ति पहलगाम में महिलाओं के सिंदूर उजाड़ने वालों के समर्थन में व्यापक संदेश था। सेना की महिला अधिकारियों के नाम और पद का बिना उल्लेख किए हुए ये बताया जाना ही पर्याप्त है कि वे देश की बेटी है। इनकी जाति धर्म सम्प्रदाय लिंग,संस्कृति इतनी ही है कि दोनों महिला सशक्तिकरण की जीती जागती उदाहरण है।

उनके समक्ष आने से न जाने कितने अभिभावकों ने अपनी बेटियों को सेना में भेजने का निश्चय किया होगा।न जाने कितनी बेटियों ने खुद के मन में दृढ़ निश्चय किया होगा। भले ही सब सेना में न जाए लेकिन प्रेरणा मिली है,प्रेरित हुई है। इनसे परे मध्य प्रदेश के एक मंत्री विजय शाह अपने सुर को नहीं सम्हाल सके और देश की सेना के अधिकारियों की जाति को समेट कर बोल बिगाड़ लिए। मंत्री, मर्यादित नहीं रहे ये बात जाहिर है।

सत्ता पक्ष को ये समझ होना चाहिए कि संवेदनशील मामले में ऐसे बोल न बोले कि क्षमा मांगने पर भी क्षमा न मिले। दरअसल विजय शाह ने सेना और महिला दोनों का सार्वजनिक अपमान किया है। एक कहावत है "जात न पूछो साधु की"। भगवान कृष्ण, यादव वंश के थे लेकिन उनके ज्ञान का सम्मान ब्राह्मण गुरु द्रोण, क्षत्रिय राजा धृतराष्ट्र, महामहिम भीष्म सहित सारे व्यक्ति करते थे।आज भी सभी जातियों में कृष्ण श्रद्धेय है। सेना में कर्नल पद पर कार्यरत सम्मानित महिला मंत्री विजय शाह से कही ज्यादा साक्षर और विदुषी है।

सेना की तरफ से जान देने के लिए तत्पर है, सज्ज है।ये भावना मंत्री विजय शाह में दूर दूर तक नहीं होगी। केवल गाल बजाने के माध्यम से देश भक्ति का प्रपंच कर रहे थे, भारी पड़ रहा है। ऐसे गैर जिम्मेदार मंत्री से तत्काल इस्तीफा लिया जाना चाहिए क्योंकि जिस व्यक्ति को स्त्री के गरिमा का जरा भी ज्ञान नहीं है वह मंत्री जैसे जिम्मेदार पद के लायक नहीं है। इस व्यक्ति के कारण मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित देश की राष्ट्रीय पार्टी भारतीय जनता पार्टी की छबि भी धूमिल हो रही है। इसके कृत्य से पुलिस विभाग में राजनैतिक हस्तक्षेप की बात सामने आ रही है। इतनी लाचारी एक व्यक्ति के लिए जो सेना के जिम्मेदार पद पर कार्यरत महिला के लिए अपमानसूचक शब्दो का सार्वजनिक रूप से करे उसके विरुद्ध न्यायिक कार्यवाही होना ही चाहिए


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