राष्ट्रीय रक्षा संस्थान की 17 जाबाज़ युवतियां

संजय दुबे

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30मई 2025 हर भारतीय युवतियों, हर माता पिता , भाई बहन और अन्य रिश्तेदारों, शुभ चिंतकों और मित्रो सहित देश की आधी आबादी के लिए गौरव का क्षण है। इस दिन 17प्रतिभाशाली युवतियों ने राष्ट्रीय रक्षा संस्थान (NDA) से प्रथम बैच के रूप में पास आउट हुई है।

निश्चित रूप से देश में पुरुष महिला के लिंग आधार पर समानता के लिए इस राष्ट्रीय रक्षा संस्थान में युवतियों का प्रवेश सर्वोच्च न्यायालय के न्याय का उत्कृष्ट उदाहरण था, जो 2021में आया था। 1949से 2021तक इस राष्ट्रीय रक्षा संस्थान से केवल युवक ही प्रवेश पाते थे लेकिन इस देश की फितरत है कि कुछ लोग देश की प्रतिष्ठित न्यायालयों में मूलभूत अधिकार अंतर्गत समानता के अधिकार की लड़ाई लड़ते है, जीतते है, व्यवस्था में बदलाव लाते है।

प्रगतिशील सरकारें करना बहुत तो चाहती है लेकिन अंग्रेजों के बनाए हुए या बरसो पुराने नियम कानून का वास्ता देकर सरकारी अधिकारियों की सुरक्षात्मक ढर्रा बदलाव के राह में रोड़ा अटकाते है। राष्ट्रीय रक्षा संस्थान के 75साल के इतिहास में पुरुषों की सफलता की लंबी फेरहिस्त है। इस संस्थान से 3परमवीर चक्र,11अशोक चक्र, विजेता शिक्षा प्राप्त किए है। 32सर्विस चीफ इस संस्थान से इस रक्षा संस्थान का गौरव बढ़ाने वाले रहे है। 2019में तीनों सेना के प्रमुखों के प्रमुख मनोज मुकुंद नरवरे भी एनडीए के उत्पाद है।

हम सभी बचपन में सैनिक स्कूल के बारे में जानते थे और इस स्कूल से एनडीए के प्रवेश के रास्ते खुलने की भी जानकारी थी। अविभाजित मध्य प्रदेश में रीवा में सैनिक स्कूल हुआ करता था। छत्तीसगढ़ में सैनिक स्कूल अंबिकापुर में है। राष्ट्रीय रक्षा संस्थान में प्रवेश लेने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा होती है। 17युवतियां भी ऐसे ही कठिन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से आई और तीन साल तप कर अब एनडीए के आदर्श वाक्य "सेवा परमो धर्मः (service before self) को निभाने के लिए सज्ज हो चुकी है। आपरेशन सिंदूर के काल में देश ने सेना की दो जाबाज़ महिलाओं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सेना के प्रवक्ता के रूप में देख कर कहा था कि दुश्मन देश देख ले कि इस देश में महिलाओं का सम्मान कैसे किया जाता है।

भविष्य में ये 17युवतियां देश के लिए थल,जल और वायु सेना में अपनी जांबाजी दिखाते नजर आएगी। सेना में राष्ट्रीय रक्षा संस्थान से पास आउट हुए छात्रों को लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति मिलती है। भविष्य में प्रमोशन के रूप में कैप्टन, मेजर, लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल और आगे उच्च पदों पर सुशोभित होते है। अंग्रेजी न जानने वालों के लिए सेना के दो पदों की spelling हमेशा कठिन रही है।

Liutenants को हिंदी में लेफ्टिनेंट कहा जाता है लेकिन Liutenants शब्द में एफ(F) नहीं है। Cononel को हिंदी में कर्नल कहा जाता है लेकिन Cononel में आर( R) शब्द नहीं है। आज देश की पूरी आबादी, देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली 17युवतियों के जज्बे को नमन करता है। ये सभी ऐसी बुनियाद की नींव है जो भविष्य में लाखों सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह के रूप में देश सेवा के लिए सेना में आने का आमंत्रण देंगी। मेरी तरफ से आप सभी 17युवतियों को सैल्यूट है


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