आईपीएल:आज खेल और भावना की जीत होगी
संजय दुबे

दुनियां में सबसे लंबी अवधि का स्पोर्ट्स कार्निवाल याने आईपीएल का आज समापन है(अगर बारिश ने खेल को नहीं धोया तो)।आज नहीं तो कल किसी भी हाल में होगा ही। पिछले 70 दिन से आईपीएल में दस टीम तेरह शहर में ट्रॉफी जीतने के लिए मारामारी कर रही थी।
अब फैसले की घड़ी आ गई है। खेल और खिलाड़ी प्रेमियों के लिए लिए अपनी अपनी टीम होती है, अपने अपने खिलाड़ी होते है। दो दिन से कयास लग रहे है कि किंग्स इलेवन जीतेगी या रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू जीतेगा।श्रेयस अय्यर भारी पड़ेंगे या विराट कोहली का बल्ला चलेगा।
हेजलवुड का कहर बरपेगा या चहल की फिरकी समां बांधेगी आज मैं किसी भी टीम की तरफ या विरुद्ध नहीं हूं क्योंकि दोनों टीम अपनी अपनी पहली जीत के पायदान पर खड़े है।कोई भी जीतेगा 2008के बाद सत्रह साल बाद चेन्नई सुपर किंग्स, मुंबई इंडियंस, केकेआर, सन राइजर , राजस्थान रॉयल्स और डेक्कन चार्जर्स के बाद नई टीम के रूप में कप उठाएंगे। ऐसे में आज किसी की तरफ खड़ा होना दूसरे के साथ अन्याय होगा। श्रेयस अय्यर और रजत पाटीदार दोनों संभावनाओं से भरे कप्तान है,दोनो की टीम में धुरंधर बल्लेबाज है, शानदार गेंदबाज है, उत्कृष्ट फील्डर्स है।
दोनों टीम सामने वाली टीम को तहस नहस करने की गजब की क्षमता भी है। ऐसे में आज किसी की भी तरफदारी करना अन्याय ही होगा। आज मैं क्रिकेट खेल की तरफ खड़ा हूं।अतिरेक में खेल भावना के साथ मैच देखूंगा। आज मेरी टीम में 11नहीं 22खिलाड़ी होंगे। बल्लेबाजों,गेंदबाजों और फील्डर्स के नाम नहीं होंगे।वे केवल बल्लेबाज होंगे, गेंदबाज होंगे, फिल्डर होंगे। जो भी बल्लेबाज चौका या छक्का लगाएगा ताली बराबरी से बजेगी, कोई गेंदबाज विकेट लेगा तो सराहना बराबर की होगी, कोई फिल्डर कैच पकड़ेगा तो शाबाशी बराबर की मिलेगी। मै न विराट कोहली जैसा अतिउत्साह दिखाऊंगा और न ही श्रेयस अय्यर जैसा गंभीर रहूंगा। बराबरी की मुस्कान रहेगी।
ई इधर न उधर बीच में खड़ा रहूंगा। अगर नरेंद्र मोदी स्टेडियम अहमदाबाद में भी होता तो दोनों विकेट के बीच की जगह पर बैठता जहां से 11- 11यार्ड्स की दूरी पर दोनों विकेट दिखते। मैदान के भीतर अदृश्य होकर खड़े होने को मिलता तो गली और कवर के बीच खड़े होकर मैच का लुत्फ लेता। खेल में जीत हार एक मैच के दो पहलू है। आज मैं न जीत की तरफ हूं न हार की तरफ। मेरे लिए जीतने और हारने वाली टीम के बीच कोई विभाजन रेखा खींचना ही नहीं है।तुम्हारी भी जय , तुम्हारी भी जय। आप किसकी तरफ है ये आपका नजरिया है लेकिन कभी खेल को खेल भावना से भी देखा जाना चाहिए।
किसी टीम या खिलाड़ी की पैरवी से दूसरे टीम या खिलाड़ी की उलाहना ही होती है। वे भले ही टीम के सदस्य है, उनका यूनिफॉर्म है लेकिन उनका धर्म खेल है,। उनकी भावना जीत की होगी लेकिन एक भावना हार को स्वीकार्य करने की भी होगी।इससे परे हम ये भी तो जानते है कि विराट कोहली और श्रेयस अय्यर उस भारतीय टीम के सदस्य रहे है जिन्होंने थोड़े समय पहले देश को विश्व विजेता बनाया है। ये तो प्रथम श्रेणी का क्लब क्रिकेट है।

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