साय ने पुलिस हिरासत में आदिवासी सब इंजीनियर की मौत के लिए सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर साधा निशाना

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रायपुर : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने पुलिस हिरासत में एक आदिवासी सब इंजीनियर पूनम कतलाम की हुई मौत के लिए प्रदेश सरकार और पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर जमकर निशाना साधा है। साय ने इस घटना पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार और उसकी पुलिस संवेदनशून्य व निरंकुश होती जा रही है। आदिवास्यों के नाम पर राजनीतिक रोटियाँ सेंक रही प्रदेश सरकार का आदिवासी विरोधी चरित्र इस घटना से एक बार फिर जगज़ाहिर हो गया है। साय ने पुलिस हिरासत में हुई युवा इंजीनियर की संदिग्ध मौत की न्यायिक जाँच कर दोषियों पर हत्या का मामला चलाकर उन्हें सख़्त सजा दिलाने की मांग की है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है, अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिन पर अंकुश पाने में प्रदेश का समूचा पुलिस तंत्र नाकारा साबित हो रहा है और दूसरी तरफ़ जाँच और पूछताछ के नाम पर संदेहियों के साथ पुलिस इस तरह पेश आ रही है कि संदेहियों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ रहा है। साय ने कहा कि दो साल के कार्यकाल में प्रदेश सरकार की कुनीतियों व प्रशासनिक अक्षमता के चलते पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला चल पड़ा है। बदलापुर की राजनीति के अपने एजेंडे पर चल रही प्रदेश सरकार अपने विरोधियों के ख़िलाफ़ जिस तरह पुलिस का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है, उससे प्रदेश में एक नई तरह की अराजकता ने तो जन्म लिया ही है, प्रदेश के हर कोने में अपराधों की बाढ़ भी आ गई है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि प्रदेश में ग़रीब, मज़दूर, आदिवासी और महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों पर पुलिस क़ाबू नहीं पा सक रही है और आम निर्दोष लोगों के साथ ही संदेह के आधार पर पूछताछ के नाम पर पुलिस संगठित प्रताड़ना का ऐसा दौर चला रही है कि प्रदेश एक तरफ़ अपराधियों और दूसरी तरफ़ पुलिस की दहशत के साए में जीने को मज़बूर नज़र आ रहा है। श्री साय ने कहा कि सूरजपुर ज़िले की लटोरी पुलिस चौकी में मृत सब इंजीनियर कतलाम के परिजनों ने पुलिस पर संदेही कतलाम के साथ बेदम पिटाई करने का आरोप लगाया है जबकि पुलिस अब इस मामले पर भी लीपापोती करने में जुट गई है। पुलिस मृतक को पहले से ही बीमार होना बताकर अपना पल्ला झाड़ रही है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि प्रदेश सरकार और उसकी नौकरशाही ने हाल के महीनों में घटी आत्महत्या या आत्मगात की कोशिश के मामलों में मृतकों या पीड़ितों के बीमार व मानसिक असंतुलन की बात करके ऐसे मामलों की गंभीरता को कम करके आँका है। यह रवैया सरकार की जनविरोधी कार्यप्रणाली का परिचायक है और भाजपा सरकार के इस नज़रिए को निंदनीय मानती है। साय ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी व परिजनों की मौज़ूदगी में मृतक के पोस्टमार्टम पर ज़ोर देकर कहा कि इस घटना की परिस्थितियों के मद्देनज़र जाँच कर पीड़ित परिवार को मुआवजा, एक सदस्य को तत्काल सरकारी नौकरी देने और न्याय दिलाने की मांग की है।


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