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बाबा साहेब अंबेडकर के बनाये संविधान को बदलना ही मोदी आरएसएस और भाजपा का एजेण्डा : मरकाम
रायपुर : प्रधानमंत्री मोदी के देश के नाम संबोधन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि बाबा साहेब अंबेडकर के बनाये संविधान को बदलना ही मोदी आरएसएस और भाजपा का एजेण्डा है। मोदी ने समय के साथ महत्व खो चुके कानूनों को हटाना जरूरी कहकर अपनी नीति नीयत और जन विरोधी रवैया उजागर कर दिया है। मोदी के लिए और भाजपा के लिए मजदूरों, किसानों, अनुसूचित जाति, जनजाति, गरीबों के लिये बने सारे कानून अपना महत्व खो चुके हैं। मोदी और भाजपा के लिए इन तमाम वर्गों के हकों और हितों की बात ही अपना महत्व खो चुकी है। मोदी और भाजपा के लिए आज सिर्फ अपने चहेते उद्योगपति अंबानी और अडानी के हितों की रक्षा महत्वपूर्ण है। इसीलिये आज पूरे देश में गरीब, मजदूर, किसान मोदी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन दे रहे है, हड़ताल कर रहे है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मोदी और भाजपा देश हित और प्रदेश हित में काम करने की सोच खो चुके हैं। मोदी और भाजपा की संविधान के प्रति मंशा खुल कर स्पष्ट हो गयी है। भाजपा और आरएसएस की विचारधारा के लोगों ने आजादी की लड़ाई में भाग नहीं लिया और संविधान निर्माण की प्रक्रिया में भी इनकी कोई भागीदारी नहीं रही। मोदी की विचाराधारा के बस में संविधान की पवित्रता और महत्व को समझना है ही नहीं। भाजपा और आरएसएस संविधान में सब कुछ बदल देना चाहते हैं। मजदूर के अधिकारों को समाप्त करने वाले और किसान विरोधी नये कृषि कानून इसके जीताजागता सबूत है। केन्द्र सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के हितों को नुकसान पहुंचाने में लगातार लगी हुयी है।
केन्द्र सरकार के नए श्रमिक कानून से करीब 40 लाख नौकरियां खत्म होने और आर्थिक गुलामी की स्थिति बनने का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मोदी सरकार मजदूरों और कामकाजी लोगों के दमन को बढ़ावा दे रही है। मोदी सरकार मजदूर कानून में बदलाव कर मोदी सरकार मजदूर और कामकाजी तबके के शोषण के लिये नई तरह की गुलामी की स्थिति बनने में संलिप्त है। इस कानूनों से ही संगठित क्षेत्र में ही 41 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी और पहले ही सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही बेरोजगारी और बढ़ेगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भारत में गुलामी प्रथा एक सदी पहले खत्म हो चुकी है, लेकिन मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिये ‘पेशेवर सुरक्षा’ स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संहिता-2020 के जरिए आर्थिक गुलामी की व्यवस्था करने में लगी है। भाजपा सरकार ने शोषण रोकने की बजाय मजदूरों और उत्पादन कार्य में लगे कामकाजी तबके के दमन की खुली छूट दे दी है। नए नियमों के अंतर्गत फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों के लिये 12 घंटे की शिफ्ट का प्रावधान किया जा रहा है, जिससे उनके पास फैक्टरी आने के लिये घंटों तक का सफर करने, आराम करने, घर के काम करने या फिर परिवार को देने के लिये समय ही नहीं बचेगा और उनके काम और जीवन का संतुलन बिगड़ जाएगा। इससे भारत में मजदूर एवं कर्मचारी वर्ग की शारीरिक एवं मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मोदी सरकार के कानूनों लागू होने के बाद फैक्टरियों में काम करने वाले एक तिहाई कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं बचेगा और वो बेरोजगार हो जाएंगे, क्योंकि उद्योग मौजूदा ‘तीन शिफ्ट’ के बजाए सिर्फ ‘दो शिफ्ट’ काम करने की व्यवस्था लागू कर देंगे। 2017-18 में किए गए उद्योगों के वार्षिक सर्वे के अनुसार भारत में अकेले संगठित क्षेत्र में लगभग 1.22 करोड़ कर्मचारी फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे, लेकिर अब भाजपा सरकार द्वारा नए नियमों के तह काम के घंटे बढ़ा दिए जाने के बाद एक तिहाई यानी 40 लाख से ज्यादा कर्मचारी फौरन बेरोजगार हो जाएंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि बिना योजना के लॉकडाउन लागू कर हजारों मजदूरों की मौत की जिम्मेदार भाजपा की गरीब-विरोधी मानसिकता उजागर हो गई है। भाजपा सरकार ने इस कानून के जरिए आधुनिक भारत के निर्माताओं यानी प्रवासी मजदूरों का अपमान किया है और नए नियमों में उनके अस्तित्व के रिकॉर्ड के प्रावधान को समाप्त कर दिया है। जब सरकार से संसद में यह सवाल पूछा गया कि पीड़ितों के परिवारों को कोई भी मुआवजा या आर्थिक सहायता दी है? तो मोदी सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि सरकार के पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इसी उत्तर से मोदी सरकार और भाजपा की गरीबों और मजदूरों के प्रति सोच उजागर हो चुकी है। भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित सूची में अनेक आपत्तिजनक कानून प्रावधान है। इसमें उद्योग मालिक कर्मचारियों को प्रतिदिन 12 घंटे से भी ज्यादा काम करने को मजबूर कर सकता है। ये अपवाद भारत में नई तरह की गुलामी प्रथा को शुरू करने के यंत्र है, क्योंकि इनके लागू होने के बाद फैक्टरी और मिल मालिक गरीब और कमजोर तबके का शोषण करने के लिये आजाद होंगे।
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