बचेली : स्थानीय बेरोजगारों की उपेक्षा पर उठ रहा सवाल, प्रबंधन व सदस्यों की सांठ-गांठ का अंदेशा, एनएमड़ीसी सहाकारी भंडार प्रबंधन दे रहे गोल मोल जवाब

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बचेली । एनएमड़ीसी बीआईओएम-5 बचेली कर्मचारी प्राथमिक उपभोक्ता सहाकारी भंडार मे इन दिनों नियमों की धज्जिया उड़ाई जा रही है। कुछ एनएमड़ीसी कर्मचारी जो चुनाव जीत कर सदस्य बने है उनमे से कुछ बुद्धिजीवी सदस्यो की मनमानी से नियमो की धज्जिया उड़ाई जा रही है। सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार पिछ्ले कुछ सालो से बचेली कर्मचारी प्राथमिक उपभोक्ता सहाकारी भंडार घाटे मे चल रहा है। इसी कारण से कार्य कर रहे कर्मचारियो को दिपावली में बोनस तक नही मिली वही उपभोक्ता सहाकारी भंडार मे दो नये लोग धनंजय और दिनेश का कर्मचारी या अप्रत्यक्ष मजदूर के रूप मे काम करना स्थानीय बेरोजगारो मे सवाल बना हुआ है कि उनको किस आधार पर काम पर रखा गया है ? जबकि देखा जाये तो पहले से ही दैनिक मजदूरी मे मजदूर काम कर ही रहे है। अन्य राज्यो से आकर लोग यहा बडे आसानी से रोजगार प्राप्त कर लेते है। जिसके एवज मे स्थानीय लोगो को तेलंगाना व आंध्रप्रदेश एवं दुसरे राज्य में रोजगार के लिये पलायन करने को मजबूर है। जहाँ उन्हे बंधुआ मजदूर बनाकर रखा जाता है वही मजदूरो को दूसरे राज्य मे पलायन करने से शासन व प्रशासन स्थानीय आदिवासीयो को रोकने कई तरह से प्रयास कर रहा है। तो वही कुछ बुद्धिजीवी अपने स्वार्थ मे बाहरी लोगो को काम देकर दक्षिण बस्तर मे स्थानीय लोगो का रोजगार मारने मे लगे हुये है। हाल ही में उपभोक्ता सहाकारी भंडार मे रोजगार के लिये बिना पत्राचार,बिना सुचना के चालू भाषा मे कहे तो कूटनीति कर कुछ लोगों को रोजगार दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार नये दो लोग लगभग बिते दो महिने से कार्य कर रहे है जिस विषय में सदश्ययो से पुछने पर बताया गया कि उन्हें अस्थाई रूप से रोजगार दिया गया है। स्थानीय लोगों को रोजगार ना देकर बाहरी क्षेत्र के लोगों को रोजगार देना कुछ और संकेत को जन्म देता है। विशेष सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुआ कि इन्हें 1 महीना का वेतन 8000 रुपए दिया गया जिसमें से एक व्यक्ति ने 8000 लेने से इनकार करते हुए 10000 की मांग रखी जिसमें कॉपरेटिव प्रबंधन ने अगला बैठक पर निर्णय लेने की बात कहकर टाल दिया। सबसे अहम बात यह है कि स्थानीय भर्ती मे आदिवासियो को लेकर जब हमने पुछा तो बातो का दिशा बदलते हुये टालमटोल करते रहे इससे तो यही साबित होता है कि इनको रोजगार देने की पीछे कोई बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। यदि नेताओं के द्वारा इस तरीके का छल स्थानीय आदिवासी बेरोजगारों के साथ किया जाता रहेगा तो शासन प्रशासन क्या स्थानिय बेरोजगारों को अन्य राज्यों में पलायन करने रोक पाएंगे। कर्मचारी उपभोगता भंडार बचेली के मैनेजर साजी जकारिया का कहना है कि कर्मचारी प्राथमिक उपभोक्ता सहाकारी भंडार मे लगे नये दो लोग का किसी भी तरह का अबतक कही भी दस्तावेज मे नाम नही दर्ज किया गया है दो नये लोगो का भर्ती को लेकर साहब का कहना है की एनएमड़ीसी कोप्रेटीव स्टोर घाटे मे चल रही हैं इन दोनों नए कर्मचारियों को अस्थाई तौर पर नियुक्त की गई एवं इनकी दैनिक रोजी अब तक निर्धारित नही हो पाया है कर्मचारी उपभोगता भंडार बचेली कमेटी सदस्य बबलू घोष ने कहा नये लोगो की भर्ती प्रक्रिया को लेकर वार्तालाप हुआ तो उनका कहना था कि दिपावली त्यौहार को देखते हुए हमाल मजदूर के रूप में उन्हें स्थाई नहीं अस्थाई तौर पर रखा गया है। कर्मचारी उपभोगता भंडार बचेली कमेटी के सदस्य चंद्रशेखर ने बताया की इन दो लोगो को स्थाई नही अस्थाई तौर पर रखा गया है। इनका कोई दैनिक भुगतान की जानकारी भी नही है।
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