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बच्चे की कस्टडी केवल मौद्रिक मामलों पर तय नहीं की जा सकती: हाई कोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि प्रत्येक बच्चे को माता-पिता दोनों की देखभाल और कंपनी में शामिल होने का अधिकार है, जो एक साथ बच्चे की दुनिया हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अपने बच्चे की कस्टडी के लिए लड़ रहे एस्ट्रेंजेंट कपल्स के मामलों में, अगर एक पैरेंट को कस्टडी दी जाती है, तो दूसरे पैरेंट को मुलाक़ात का अधिकार दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चा अपने दूसरे पैरेंट से मिल सके।
अदालत ने आगे कहा कि एक बच्चे की हिरासत से संबंधित मुद्दों पर केवल मौद्रिक कारकों पर निर्णय नहीं लिया जा सकता है, बल्कि माता-पिता द्वारा बौद्धिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रशिक्षण जैसे कारक, जो एक बच्चे के संवारने के महत्वपूर्ण पहलू हैं, को भी तय करते समय विचार किया जाना चाहिए।
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