दंतेवाड़ा (बड़ी खबर) : पहली बार पहुंचे नक्सलियों के मांद में दो जिलों के अधिकारी, अफसरों की टीम पहुंची जनता के बीच…

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दंतेवाड़ा । यह पहला मौका था जब दो जिलों के प्रशासनिक व पुलिस के आला अफसर एक साथ ग्रामीणों के बीच पहुंचे हों। दरअसल‚ दंतेवाड़ा व सुकमा जिले के सरहदी इलाके में बसे कमारगुड़ा में शनिवार को पुलिस व सीआरपीएफ द्वारा सिविक एक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया गया था‚ जिसमें शिरकत करने तमाम अधिकारी पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान बस्तर आईजी पी. सुंदरराज‚ दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक साेनी‚ एसपी अभिषेक पल्लव‚ सुकमा कलेक्टर विनीत नंदनवार‚ एसपी केएल ध्रुव समेत अन्य अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू हुए और गांव वालों के साथ बैठकर भोजन भी किया। पहली बार अपने बीच बड़े अफसरों को देख ग्रामीण भी उत्साहित नजर आए। जमीन पर बैठ सुनी समस्या कमारगुड़ा में आज ऐसा भी दृश्य नजर आया जाे आम तौर पर कम ही दिखता है। दरअसल‚ गामीणों की समस्याओं को करीब से समझने के लिए दंतेवाड़ा व सुकमा के जिले के कलेक्टर जमीन पर ही बैठ गए और उनसे संवाद करने लगे। यह नजारा देख मौके पर मौजूद लोग हैरान रह गए। बस्तर आईजी सुंदरराज तो ग्रामीणों को भोजन परोसते भी दिखे। बता दें कि दंतेवाड़ा से अरनपुर होकर जगरगुंडा तक सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। कमारगुड़ा में हाल ही में पुलिस कैम्प की स्थापना की गई है और कड़ी सुरक्षा के बीच सड़क निर्माण कार्य जारी है। नक्सलियों के गढ़ में विकास कार्य संपादित करने ग्रामीणों का दिल जीतना जरूरी है‚ लिहाजा पुलिस द्वारा यहां सिविक एक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया गया था जिसमें शामिल होने अफसरान पहुंचे थे। बाइक में पहुंचे अधिकारी जगरगुंडा इलाके में पहुंचने के लिए घने जंगलों‚ पहाड़ों व दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। बारूदी विस्फोट व नक्सली हमले के खतरे के बावजूद दोनों जिलों के आला अधिकारी जब बेखौफ होकर जनता के बीच पहुंचे तो ग्रामीणों का उत्साह भी दोगुना हो गया। सुकमा कलेक्टर नंदनवार और दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने तो कच्चे रास्ते पर बाइक की सवारी भी की । नक्सलियों को खुली चुनौती नक्सलियों के मांद में पुलिस व जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने दस्तक देकर माओवादियों को साफ संदेश देने की कोशिश की है कि यह क्षेत्र में अब विकास होकर रहेगा। वहीं इस इलाकों के ग्रामीणों ने भी वर्षो से नक्सलवाद का दंश झेल कर हलाकान हो गए हैं और ग्रामीण अब इस क्षेत्र में शांति और अमन के जीवन जीना चाहते हैं।
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