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बस्तर कला, नृत्य और भाषा अकादमी से बरसेगी बस्तरिया संस्कृति और सभ्यता की फुहार
जगदलपुर : अनेक आदिम संस्कृतियों को अपने आंचल में समेटे बस्तर को जल्द ही बादल की सौगात मिलेगी, जिससे बस्तरिया कला और संस्कृति की फुहार बरसेगी। हल्बी, गोंडी, भतरी जैसी आदिम संस्कृति से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए आसना में बस्तर कला, नृत्य और भाषा अकादमी की स्थापना की जा रही है। बस्तर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा यहां की संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए उठाए गए कदमों के तहत इस अकादमी के स्थापना की घोषणा के साथ ही बस्तर जिला प्रशासन ने भी इस पर तेजी से काम करना शुरु कर दिया और अब नए साल की पहली तिमाही में ही इस अकादमी को संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित कर पूरी गति के साथ कार्य किया जा रहा है।
बस्तर की पारंपरिक भाषा-बोली, गीत-संगीत पूरे विश्व को आकर्षित करता है और बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी यहां की संस्कृति और सभ्यता को देखने और समझने के लिए आते हैं। वैश्वीकरण से प्रभावित अपनी लोक संस्कृति और सभ्यता से दूर हो रही नई पीढ़ी को भी यहां की कला और संस्कृति के अनमोल धरोहर से परिचित करने के साथ ही उसको आगे बढ़ाने के लिए इस अकादमी की स्थापना की जा रही है। वहीं इसका उपयोग बाहर से आने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए भी किया जाएगा, जिससे वे यहां की भाषा-बोली और लोक-संस्कृति को जानने के बाद यहां के जन मानस से बेहतर संवाद स्थापित कर सकें और इनकी ज़रूरतों को देखते हुए यहां बेहतर योजनाएं पहुंचा सकें। बस्तर पहुंचने वाले पर्यटकों को भी इस अकादमी के माध्यम से यहां की कला और संस्कृति से परिचित किया जाएगा, जिससे वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाने के बाद बस्तरिया संस्कृति और सभ्यता के प्रसार में सहायता कर सकें।
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