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वनांचल में किसान अब अपने गांव के नजदीक ही बेच रहे हैं धान, मीलों दूर जाने की परेशानी से किसानों को मिली मुक्ति
रायपुर :छत्तीसगढ़ शासन ने किसानों को धान बेचने में कोई पेरशानी नहीं हो इसके लिए समुचित इंतजाम सुनिश्चित किए हैं। किसानों को पहले अपने खेतों और गांव से कई मील दूर धान बेचने जाना पड़ता था परन्तु अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन में प्रदेश भर में करीब 250 नए धान उपार्जन केन्द्र किसानों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। प्रदेश केवनांचलों में भी किसानों को अपने गांव के पास ही धान बेचने की सुविधा उपलब्ध करायी गई है।
बस्तर जिले में नए धान उपार्जन केन्द्र बनने से किसानों को बहुत अधिक राहत मिली है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस वर्ष धान उपार्जन के लिए कोलेंग और एरपुण्ड जैसे वनांचल क्षेत्रों के साथ ही मंगनार और मधोता में भी धान उपार्जन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। छत्तीसगढ़ में कृषि ही अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख आधार है। छत्तीसगढ़ राज्य को कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बार केन्द्र सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्रों में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन का असर बस्तर के वनांचल में भी देखा जा रहा है और वनोपज पर निर्भर रहने वाले क्षेत्र के वनवासी किसान भी खेती-किसानी की ओर रुख कर रहे हैं। कांगेर घाटी के बीचों-बीच बसे कोलेंग और माड़ क्षेत्र में बसे एरपुण्ड और आसपास के किसान भी अब खेती-किसानी से अपनी तकदीर और क्षेत्र की तस्वीर बदल रहे हैं। ऐसे किसानों की सहुलियत के लिए ही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इन क्षेत्रों में धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना की गई, जिससे वे अपने आसपास ही धान बेच सकें। इससे पहले कोलेंग क्षेत्र के छिंदगुर और कांदानार, मुण्डागुड़ा के किसान 25 किलोमीटर दूर दरभा धान उपार्जन केन्द्र आते थे। वहीं एरपुण्ड क्षेत्र के हर्राकोड़ेर, पिच्चीकोड़ेर, बोदली, मालेवाही आदि गांव के किसान बिंता उपार्जन केन्द्र में धान विक्रय करते थे। इसके साथ ही मैदानी क्षेत्र में बसे घोटिया समिति में एक और धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना लगभग 15 किलोमीटर दूर मधोता में की गई है और करपावंड समिति के तहत लगभग दस किलोमीटर दूर मंगनार में एक नया धान उपार्जन केन्द्र स्थापित किया गया है। घोटिया में पहले लगभग 800 किसानों ने धान विक्रय के लिए पंजीयन कराया था। अब मधोता में धान खरीदी केन्द्र स्थापित होने से किसानों की संख्या भी लगभग आधी हो गई है। यहां मधोता के साथ ही झारतरई, खोटलापाल, चीतलवार और रोतमा के किसान अपना धान विक्रय कर रहे हैं। इससे इन किसानों को दोहरा लाभ मिला है। नजदीक में धान उपार्जन केन्द्र होने के साथ ही भीड़भाड़ और आपाधापी से भी राहत मिली है। करपावंड समिति में भी पूर्व में लगभग एक हजार किसान अपना धान बेचते थे, किन्तु मंगनार में धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना के साथ ही वहां भी पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग आधी रह गई है। यहां धान उपार्जन केन्द्र की स्थापना से मंगनार, खोटलापाल, बेलपुटी और तोंगकोंगेरा के किसानों को लाभ हुआ है। नए स्थापित केन्द्रों में मंगनार में मंगलवार 29 दिसम्बर तक 11659.6 क्विंटल, मधोता में 9237.6 क्विंटल, कोंलेग में 382.4 क्विंटल और एरपुण्ड में 624.8 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है।
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