जो हत्यारे क्रूस में लटकाकर उनकी हत्या कर रहे थे, ईशा मशीह उनके लिए माफी मांग रहे थे

भगवान ईशा मशीह बदले की भावना और दुर्भावना से मुक्त प्रेम व सद्भावना के पक्षधर थे

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मेरी क्रिसमस

साथियों आज ईशा मशीह अर्थात भगवान यीशु का जन्मोत्सव है, वही ईशा मशीह जिन्होंने स्वयं सहित हम सबको को ईश्वर का संतान बताकर समाज में समानता, सद्भावना और प्रेम का रिश्ता बनाने का प्रयास किया।

जीजस क्राइस्ट अपने जीवन पर्यंत बदले की भावना और दुर्भावना मुक्त जीवन जीए, उनके कार्य से असंतुष्ट होकर कथित यहूदी कट्टरपंथी (धर्मगुरु) लोग इन्हें शूली/क्रूस में लटकाकर मार डाले थे, सबसे खास बात यह है कि जब उनके हत्या के लिए उन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया था तब भी वे उन क्रूर हत्यारे (धर्मगुरुओं) के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे इन्हें माफ़ कर दें क्योंकि ये अज्ञानी हैं।

भगवान ईशा मशीह के साथ हुए क्रूरतापूर्ण हत्या से समाज को सीखने की जरूरत है, हर इंसान को जानने की जरूरत है कि धार्मिक कट्टरपंथी लोग कभी भी अपने काल्पनिक मानसिकता के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर पाते। चाहे उनकी काल्पनिक मानसिकता कितने ही क्यों न अमानवीय अथवा मूर्खतापूर्ण हो, इसलिए हमें ईशा मशीह जैसे बुध्दजीवी के मार्ग में चलना चाहिए कट्टरपंथी लोगों के झांसे में आकर अपना जीवन बर्बाद नहीं करना चाहिए। वास्तव में आज तक कोई भी धर्मगुरु अथवा भगवान हमें हिंसा का मार्ग नहीं दिखाता, यदि कोई हिंसा, हत्या और बदले की भावना सीखा रहा है मतलब समझने की जरूरत है कि वह सही मायने में क्या है? और क्या चाहता है?

यदि आपके धर्म, संस्कृति या आस्था प्रश्न या तर्क से भयभीत होता है मतलब ऐसे धर्म, संस्कृति और आस्था का आप स्वयं समीक्षा करें और उनसे परहेज करें..… प्रभु ईशा मशीह चाहे आपके धर्म के हों या नहीं परंतु उनके योगदान और शिक्षा उन्हें हम सबके लिए अनुकरणीय बनाते हैं।

वर्तमान में धर्म परिवर्तन और घर वापसी की जोर पकड़ी हुई है ऐसे में यह बताना आवश्यक है कि धर्म आपका संवैधानिक अधिकार है मगर प्रलोभन देकर अथवा भयभीत करके धर्म परिवर्तन कराना अपराध है। कोई भी आराध्य अथवा संस्कृति किसी एक परिवार, समाज, समूह या धर्म की कॉपीराइट नहीं है इसलिए आप चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों आप किसी भी आराध्य, ईश्वर, संत, गुरु अथवा महापुरुषों को अपना रोल मॉडल बनाकर उनके मार्ग में चल सकते हैं, उनकी आराधना, पूजा भी कर सकते हैं। कुछ बुद्धजीवियों का मानना है धर्म परिवर्तन अनावश्यक बतंगड़ है, खासकर तब जब धर्म परिवर्तन के कारण सामाजिक सदभावना बिगड़ रहा हो और आपके पिछले धर्म के लोग समझदार या सहनशील नहीं हैं।

यदा कदा सिद्धांतों को छोड़ दें तो सभी धर्म और उसके धार्मिक सिद्धांत समान ही हैं, इसके बावजूद कुछ धार्मिक कट्टरपंथी लोग अपने धर्म के सिद्धांतों को श्रेष्ठ घोषित करने का प्रयास करते हैं जबकि सब आपस मे बराबर ही हैं। अंत में, आप सब क्रिसमस का पर्व आनंदपूर्वक मनाएं, भगवान ईशा मशीह के जन्मोत्सव में शामिल होकर उनके आदर्शों पर चर्चा करिए।

मेरी क्रिसमस.....

हुलेश्वर जोशी

नारायणपुर, छत्तीसगढ़


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