कान है तो जहान है
लेखक: संजय दुबे
2020 का साल कान का साल रहा। सुनने वाले कान को आंखों का सहारा तब बनना पड़ता था जब आंख ठीक से देख नही पाती थी। भले ही कांटेक्ट लेंस आ गया है लेकिन अधिकांश लोगों की आंखों के लिए कान है तो जहान है।मामला धूप के चश्मे का भी हो कान के ऊपर ही में चश्मे की डंडी अटकती है। कह सकते है कि आंख का काम चश्मे के मामले में कान के बिना नहीं चल सकता है। मेरी एक परिचित मित्र ने सालो पहले चार पंक्ति लिखी थी अफसोस इस बात का नही कि कद नहीं दिया शुक्रिया इस बात का है कि कान दे दिया वरना आंखों में चश्मा कैसे लगाती आज ये मित्र इन पंक्तियों को फिर से लिखेगी तो शायद यइस प्रकार लिखती अफसोस इस बात का नहीं कि कद नहीं दिया शुक्रिया इस बात है कि कान दे दिया वरना चश्मा कैसे पहनती मास्क कहॉ बांधती इस दुनियां के लोगो के पहनावे में 2020 का साल एक नए पहनावे को इजाद करके जा रहा है। मास्क, नाम का ये पहनावा बीत रहे साल का सबसे बड़ा अविष्कार रहा। अरबो लोगो के अनिवार्य पहनावे में मास्क कम से कम इस साल तो जुड़ गया। हमने इस मास्क को अस्पतालों में डॉक्टर्स/नर्स को ऑपरेशन थियेटर से निकलते समय देखा करते थे। ये मान कर चलते थे कि मरीज के चीरफाड़ के समय रोगाणुओं से बचने के लिए इसे लगाते है। जब कोरोना का रोगाणु विश्वव्यापी हुआ तो ऐसी आपाधापी मची कि ऑपरेशन मास्क की कमी पड़ गयी। बहरहाल विकल्प बनते गए और अनिवार्यता से फैशन में मास्क जुड़ गया।इंसान हिम्मत न हारने वाला जीवट प्राणी है।आपदा में भी जीने का अवसर तो खोजता ही है साथ ही जीवन को रंगों के आयाम देता है।मास्क भी विविधता के साथ आया। महिलाये सौंदर्य की प्रतिमान है,वे खूबसूरत होना जानती है इसलिए वे पहनावे के रंग से मिलता जुलता या समान ही मास्क का अन्वेषण कर लिया या करवा लिया। मास्क को नाक मुँह को सुरक्षित रखने का काम मिला तो कान को इसे सपोर्ट देने की महती जिम्मेदारी मिली । 2020 के जाते में ईश्वर का धन्यवाद जिसने कान को इतने संतुलित स्थान में रचा है कि आंखों के काम तो आ ही रहा था। अब मुँह नाक के भी काम आ रहा है। इसी ईश्वर से एक और प्रार्थना कि 2021 में कानो से ये बोझ हटवा दे ।अभी कान को बहुत कुछ अच्छा सुनना बाकी है।
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