माता ने बुलाया नरेंद्र चंचल चले गए

लेखक - संजयदुबे

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1973 के साल में मेरी उम्र 13 साल थी तब मैं दिल को नहीं समझता था पर बॉबी फिल्म देखा जरूर था। ऋषि की पहली फिल्म थी।मुझे ऋषि हमेशा रियल हीरो लगे जो उम्र के हिसाब से अभिनय किये।उनकी फिल्म में मुझे प्यार की हल्की सी समझ महसूस हुई थी जब इस फिल्म का एक गाना सुना करता था "बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो पर वो दिल मत तोड़ो जिसमें प्यार बसा।" ये गाना जिस गायक ने गाया था वे नरेंद्र चंचल थे।

नई आवाज़ थी । नयापन अक्सर आकर्षण का जन्मदाता होता है सो नरेन्द्र चंचल की भी आवाज़ भली लगी। वे मध्यरात्रि के गायक थे, भजन गायक ।

अगर वैष्णो देवी की मंदिर की ख्याति देश विदेश में फैली तो उसके बड़े संवाहक नरेंद्र चंचल थे। दिल्ली, पंजाब हरियाणा में नवरात्रि के समय जगराता की बड़ी धूम होती है। माता शेरा वाली के यश में रातभर भजन गायन होता रहा है। इसके सूत्राधार भी नरेंद्र चंचल ही थे।

"चलो बुलावा आया है" और "तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये" नरेंद्र चंचल की अमर प्रस्तुति रही है। वे हर नवरात्र के अतिथि हुआ करते रहे है। उनका गाया एक गीत और जेहन में आता है " यारा ओ यारा तूने भुलाया मैं बेनाम हो गया" इस गाने में नरेंद्र चंचल की आवाज़ का जादू सुनने लायक था।

इस जग की रीत के वे भी कल गवाह बने, काफी समय से बीमार थे कल अंतिम सांस लेते वक्त भी वे जरूर कहे होंगे " तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये मैं आया मैं आया जोता वालिये" माता के सच्चे भक्त नरेंद्र औऱ मुझमें एक समानता है हम दोनों 16 अक्टूबर को ही जन्मे है।

नरेंद्र चंचल आप भले "मैं बेनाम हो गया" गाते रहे, लेकिन आपको आपके रहते औऱ जाने के बाद भी हर देशवासी याद करेगा खासकर नवरात्रि में।

आपको 140 करोड़ श्रद्धांजलि। जाइये माता के दरबार मे। खूब रतजगा करना खूब गाना "चलो बुलावा आया था माता ने बुलाया था" सो आगये।


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