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अब 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी मेल-एक्सप्रेस
कोरोना काल से राहत मिलने के बाद परिस्थितियां सामान्य होते ही यात्री ट्रेनों की रफ्तार तेज हो जाएगी। बिलासपुर रेलवे जोन के तीनों मंडल में इसकी तैयारी जारी है। मेल और एक्सप्रेस श्रेणी की ट्रेनों की रफ्तार 110 से बढ़कर 130 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। इससे पहले मानसिक दक्षता जांच के लिए लोको पायलटों को चरणबद्ध तरीके से लखनऊ भेजा जा रहा है।
आने वाले दिनों में लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौडऩे लगेगी। बिलासपुर रेलवे जोन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अभी इस श्रेणी की ट्रेनें 100 से 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है। कोरोना काल से वापसी के बाद जब पहले की तरह रेल यातायात सामान्य हो जाएगा तो लंबी दूरी की मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों को अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाएगा। इससे ट्रेनों के आरंभ स्टेशन से गंतव्य तक पहुंचने में अभी जो समय लग रहा है उसमें कमी आ जाएगी। ट्रेेनों की रफ्तार बढऩे से यात्रियों को समय की बचत का लाभ मिलेगा।
रेलवे बोर्ड से लंबी दूरी की यात्री ट्रेनों के रफ्तार में इजाफा किए जाने का संकेत मिलने के बाद बिलासपुर जोन के रायपुर मंडल ने लोको पायलटों को इसके अनुरुप मानसिक रूप से तैयार करने का निर्णय लिया है। इसी निर्णय के तहत भिलाई मार्शलिंग यार्ड क्रू लॉबी व दुर्ग स्टेशन पर पदस्थ मेल, एक्सप्रेस सहित पैसेंजर व लोकल ट्रेनों के पायलट को मनोवैज्ञानक परीक्षण के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ भेजा जा रहा है। इसमें ट्रेनों को हाईस्पीड में चलाए जाने की स्थिति में पायलट की मानसिक दक्षता का परीक्षण किया जा रहा है।
ज्ञात रहे कि रेल बजट 2016-17 में मिशन रफ्तार की घोषणा की गई थी। इसके अंतर्गत यात्री ट्रेनों की रफ्तार को 100-110 से बढ़ाकर 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया जाना सुनिश्चित कर तैयारी शुरू की गई थी। अब यह तैयारी अंतिम चरण में आ पहुंची है। उम्मीद है कि कोरोना काल खत्म होते ही जब ट्रेने पहले की तरह चलने लगेगी तो रफ्तार बढ़ा दी जाएगी।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि भिलाई-दुर्ग में लगभग 50 ऐसे लोको पायलट है जो यात्री ट्रेनों को चलाते हैं। इन सभी पायलट को एक बार में तीन से चार की संख्या में मानसिक दक्षता साबित करने लखनऊ भेजा जा रहा है।
रेल पटरियों को बनाया गया अनुकूल :
यात्री ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाये जाने से पहले रेल पटरियों को उसकी क्षमता के अनुकूल बनाया गया। यह कार्य मिशन रफ्तार के तहत चार साल पहले से ही शुरू हो चुका था। लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाये जाने के बाद काफी समय तक यात्री ट्रेनों की आवाजाही बंद रही तो उस दौरान रेल पटरियों को बदलने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। वर्तमान में जोन के सभी मुख्य आवाजाही वाली रूट में इजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञ तैैयारी को अंतिम रूप देेने में जुटे हुए हैं।
शहर के सुपेला क्रॉसिंग से पैदा होगा खलल :
ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की तैयारी पर भिलाई शहर का सुपेला रेलवे क्रॉसिंग खलल पैदा कर सकता है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में पटरी के दोनों किनारों पर सुरक्षा के लिहाज से बाउण्ड्रीवाल बनाने का आधे अधूरे काम से भी दिक्कत हो सकती है। मिशन रफ्तार को लागू करने से पहले रेलवे ने क्रॉसिंग वाली जगहों पर अंडर व ओव्हरब्रिज बनाने का निर्णय लिया है। सुपेला रेलवे क्रॉसिंग पर फिलहाल अंडरब्रिज बनना भी शुरू नहीं हुआ है। जबकि दुर्ग से रायपुर के बीच कई स्थानों पर बाउण्ड्रीवाल अधूरा है। ऐसे में ट्रेनों की रफ्तार बढऩे से दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी।
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