जानवरों के साथ क्रूरता करने पर लगेगा 75 हजार तक जुर्माना, 5 साल की हो सकती है जेल

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नई दिल्ली : सरकार ने 60 साल पुराने प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट (पीसीए) में संशोधन के लिए एक मसौदा तैयार किया है। अब जानवरों को घायल करने या मारने वाला व्यक्ति 50 रुपये का जुर्माना भरकर नहीं भाग पाएगा। इसमें किसी व्यक्ति या संगठन के कार्य से पशु की मृत्यु होने पर जुर्माना 75,000 रुपये या पशु की लागत का तीन गुना करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा पांच साल तक की सजा या दोनों का प्रस्ताव दिया गया है।

मसौदे में तीन श्रेणियों में अपराधों का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें मामूली चोट, बड़ी चोट जो स्थायी विकलांगता का कारण बनती है और क्रूर अभ्यास के कारण पशु की मृत्यु शामिल है। मसौदे के तहत विभिन्न अपराधों के लिए 750 रुपये से लेकर 75,000 रुपये तक के जुर्माने और पांच साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।

मौजूदा कानून में किसी भी जानवर की पिटाई, लात मारना, यातना देना, भूखा रखना, ओवरलोडिंग (अधिक सामान लादना), ओवरराइड (बहुत ज्यादा चलाना) करना और किसी को मारना जैसे क्रूरता के किसी भी कार्य के लिए 10 से 50 रुपये के बीच का जुर्माना लगाया जाता है। इसमें क्रूरता के लिए विभिन्न प्रकार के अपराध नहीं हैं।

अधिनियम में पशु को मनुष्य के अलावा किसी भी जीवित प्राणी के रूप में परिभाषित किया गया है। शुक्रवार को राज्यसभा में संसद के एक प्रश्न के लिखित जवाब में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, `सरकार द्वारा और अधिक कठोर दंड लागू करके पीसीए, 1960 में संशोधन की आवश्यकता को मान्यता दी गई है। तैयार किए गए संशोधन में मौद्रिक दंड और सजा के प्रावधानों को बढ़ाना शामिल है।`

हालांकि मंत्री ने मौद्रिक दंड और सजा की मात्रा का विवरण नहीं दिया। दरअसल, राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने केरल के एक मामले का जिक्र करते हुए पूछा था कि पिछले साल एक हाथी ने पटाखों से भरे एक अनानास को खा लिया था, इससे उसके मुंह के अंदर विस्फोट हो गया और पिछले साल साइलेंट वैली के जंगल में उसकी मौत हो गई थी। इसी सवाल के जवाब में गिरिराज ने जवाब दिया।

सूत्रों ने कहा कि मसौदा संशोधन जानवरों के खिलाफ क्रूरता के अपराधों को संज्ञेय बनाने और राज्य पशु कल्याण बोर्ड को वैधानिक संस्था बनाने का भी प्रावधान करता है। एक अधिकारी ने कहा, `इसका कार्य प्रगति पर है। मसौदे को सार्वजनिक डोमेन में लाया जाएगा, जिसमें आम जनता और विशेषज्ञों सहित हितधारकों से सुझाव मांगे जाएंगे। टिप्पणियों का विश्लेषण करने के बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।`


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