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एक हजार 36 करोड़ रूपए की चिराग परियोजना के लिए हुआ एमओयू, सीएम बघेल एवं कृषि मंत्री ने जताई प्रसन्नता
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर बस्तर अंचल के आदिवासी किसानों को लाभदायी खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उनकी माली हालात को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 1036 करोड़ रूपए की चिराग परियोजना के लिए आज नई दिल्ली में एमओयू हुआ। विश्व बैंक सहायतित 6 वर्षीय चिराग परियोजना बस्तर संभाग के 7 जिलों के 13 विकासखण्डों तथा मुंगेली जिले के मुंगेली विकासखंड के 1000 गांवों में क्रियान्वित की जाएगी।
चिराग परियोजना के लिए त्रिपक्षीय एमओयू, भारत सरकार वित्त मंत्रालय, विश्व बैंक एवं छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधियों के मध्य हुआ। इस अवसर पर भारत सरकार वित्त मंत्रालय के अपर सचिव वित्त श्री महापात्रा, कन्ट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद खान, छत्तीसगढ़ शासन कृषि विभाग के संयुक्त सचिव विलास भोस्कर संदीपन, वित्त विभाग के हरीश छाबड़ा एवं पुनीत कुमार, टॉस्क टीम लीडर चिराग राज गांगुली, विश्व बैंक प्रतिनिधि वरूण सिंह, सह-टॉस्क टीम लीडर चिराग, विश्व बैंक प्रतिनिधि जस्टीना विश्लेषक विश्व बैंक के.सी.पैकरा, संयुक्त सचिव कृषि सी.बी. लोंढेकर, संयुक्त संचालक कृषि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिराग परियोजना के एमओयू पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों को इस परियोजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि इससे बस्तर अंचल में खेती-किसानी को समृद्ध और लाभदायी बनाने में मदद मिलेगी। इस परियोजना के माध्यम से बस्तर अंचल के किसान भाई परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती की ओर अग्रसर होंगे। इससे उनकी माली हालात बेहतर होगी और उनके जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू होगा।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने भी चिराग परियोजना के लिए एमओयू होने पर विभागीय अधिकारियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि इस परियोजना के जरिए मिलने वाली मदद एवं मार्गदर्शन से बस्तर के कृषक उन्नत खेती की ओर अग्रसर होंगे। सिंचाई के आधुनिक तकनीक जैसे स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिस्टम के उपयोग से कम पानी में ज्यादा सिंचाई की सुविधा का लाभ उन्हें इस परियोजना के माध्यम से उपलब्ध होगा। किसानों को अनाज के साथ-साथ उद्यानिकी एवं दलहन, तिलहन की फसलों की खेती के लिए आवश्यक मदद एवं प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
’चिराग’ योजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के अनुसार उन्नत कृषि, उत्तम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पोषण आहार में सुधार, कृषि एवं अन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना है। परियोजना अंतर्गत समन्वित कृषि, भू एवं जल संवर्धन, बाड़ी एवं उद्यान विकास, उन्नत मत्स्य एवं पशुपालन दुग्ध उत्पादन के अतिरिक्त किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) द्वारा कृषकों के उपज की मूल्य संवर्धन कर अधिक आय अर्जित करने के कार्य किए जाएंगे। उक्त परियोजना का क्रियान्वयन गौठानों को केन्द्र में रखकर किया जाएगा। कोविड-19 महामारी के कारण कृषि क्षेत्र में आई रूकावटों एवं कठिनाईयों को ध्यान में रखते हुए आय वृद्धि एवं रोजगार सृजन भी इस परियोजना के उद्देश्यों में शामिल है।
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