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कैट ने GST कराधान प्रणाली में सुधार के सम्बंध में पीएम मोदी के नाम मंत्री टीएस सिंहदेव को ज्ञापन सौपा
रायपुर : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चैबे ने बताया कि आज भारत में जीएसटी लागू होने के 4 वर्षों की अंतराल में, जीएसटी कर प्रणाली एक सबसे जटिल कराधान प्रणाली के रूप में उभरी है और वास्तव में अब इसे ष्घनो सारो मुकदमेबाजी करष् के रूप में कहा जा रहा है, जो कि देश में एक बेहतर और सरल कर के जरिये व्यापार को सुचारू रूप से चलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के बिलकुल विपरीत एवं जटिल है। चार वर्षों में जीएसटी नियमों में अब तक किए गए लगभग 950 संशोधन स्वयं बया कर रहे हैं कि जीएसटी परिषद भी प्रणाली की स्थिरता के बारे में आश्वस्त नहीं है, लेकिन यह व्यापारियों से उम्मीद करता है कि वे जीएसटी के प्रावधानों का निर्बाध तरीके से अनुपालन करें अन्यथा जीएसटी रेजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है, इनपुट क्रेडिट से हाथ धोना पड़ सकता है, और दंड भी भुगतना पड़ सकता है। इस संदर्भ में कैट सी.जी. चैप्टर द्वारा राज्य जीएसटी कराधन प्रणाली के सम्बंध में वाणिज्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से ज्ञापन दिया गया है,मंत्री सिंहदेव ने इस संदर्भ में सकारात्मक आसवासन दिया है।
श्री पारवानी ने आगे कहा कि इसी कड़ी में देश भर के सभी राज्यों में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी कराधान प्रणाली में सुधार एवं सरलीकरण के सम्बंध में अपने-अपने राज्यों में माननीय प्रधानमंत्री के नाम से ज्ञापन जिला कलेक्टर, जीएसटी आयुक्त, प्रधान सचिव, वित्तमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, विधायक एवं सांसद को सौपेंगे।
ऐसी निराशाजनक पृष्ठभूमि में, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 26 फरवरी को भारत व्यापार बंद का आह्वान किया है, जिसे देश के व्यापारी एवं अन्य संगठनों का मजबूत एवं खुला समर्थन मिल रहा है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण एवं जीएसटी काउन्सिल से माँग की है की जीएसटी की समग्र समीक्षा कर इसे सरल और युक्तिसंगत कर प्रणाली बनाया जाए।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि जीएसटी में निम्नाकिंत समस्या है। जिसका समाधान अतिशीघ्र होना चाहिए:-
1. नई अधिसूचना के आधार पर जीएसटी अधिकारी अपने विवेक के आधार पर बिना कोई नोटिस दिए अथवा बिना कोई सुनवाई किये किसी भी व्यापारी का जीएसटी पंजीकरण नंबर निलंबित कर सकते हैं।
2. केंद्रीय बजट में प्रस्तावित धारा 16 (2) (एए) जीएसटी के मूल विचार के खिलाफ है ।
3. वहीँ जीएसटी की धारा 75 (12) में यदि गलती से व्यापारी ने अधिक टैक्स की गणना कर दी तो वह स्व कर निर्धारण टैक्स मानकर व्यापारी से धारा 79 के अंतर्गत बिना कोई नोटिस दिए वसूला जाएगा।
4. इसी तरह से धारा 129 (1) (ए) में ट्रांसपोर्ट के द्वारा भेजे जाने वाले माल को यदि रास्ते में किसी अनियमितता के लिए रोका जाता है तो विभाग को ऐसे माल वाहक गाडी तथा उसमें रखे माल को जब्त करने अथवा अपनी हिरासत में लेने का अधिकार दिया गया है !
5. ई-वे बिल के प्रावधानों को पालन नहीं करनें पर अभी तक इस प्रकार के मामलों में 100 प्रतिशत जुर्माना था जिसको बढ़ाकर अब 200 प्रतिशत कर दिया है ।
6. नियम 86 बी में जीएसटी इनपुट 99 प्रतिशत तक कर दी गई है।
7. ई-वे बिल की वैधता अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है।
8. छुटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने हेतु अतिरिक्त अवसर प्रदान करनी चाहिए।
9. माल के परिवहन एवं ई-वे बिल सम्बंधित समस्याएं दूर करनी चाहिए।
10. त्ब्ड संबधित प्रावधान को निरस्त करना चाहिए।
11. रिटर्न सम्बंधित समस्याएं को दूर जाना चाहिए।
12. जितना क्रेड़िट जीएटीआर 2 ए में दिखेगा उतना ही क्लेम जीएटीआर 3बी किया जा सकेगा।
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