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पालक, चुकन्दर, सिन्दूर एवं हल्दी से महिलाओं ने तैयार किये रंग, प्राकृतिक रंगों से मनाया जायेगा होली का त्यौहार
बलरामपुर : रंगों का त्यौहार होली आने वाला है, गुजरते ठण्ड और हल्की गर्मी भी मानों रंगों के त्यौहार के आगमन का संकेत दे रही है। रंगों का यह पर्व हमें प्रकृति के और करीब लेकर जाता है तथा रंग-गुलाल के साथ इसे मनाने की परम्परा है। बलरामपुर की महिला समूहों ने इस बार होली का त्यौहार नये ढंग से मनाने की तैयारी है। जहां एक ओर बाजार में रासायनिक रंग-गुलाल उपलब्ध हैं वहीं इन महिलाओं ने पालक, चुकन्दर, सिन्दूर एवं हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार किया है और कृत्रिम रंगों से इतर होली का त्यौहार इस बार प्राकृतिक रंगों से ही मनाने की बात कर रही हैं। प्राकृतिक रंगों की मांग को देखते हुए महिलाओं ने इसका विक्रय भी प्रारंभ किया है जिससे उन्हें अच्छी आय प्राप्त हुई है। महिलाओं ने पहले ही दिन हर्बल गुलाल के 150 डिब्बों का विक्रय कर लगभग 5 हजार की आय प्राप्त की है तथा आगे भी इसका विक्रय जारी रहेगा। प्राकृतिक रंग तैयार करने में जुटी ग्राम चितमा के जयंती खलखो ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र बलरामपुर के मार्गदर्शन में आदिवासी उपयोजनान्तर्गत 13 ग्रामों के महिला समूहों को तीन दिवसीय हर्बल गुलाल प्रसंस्करण पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण के दौरान पालक, चुकन्दर, सिन्दूर एवं हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार करने की तकनीकी जानकारी देकर केन्द्र में ही गुलाल बनाना सिखाया गया। जयंती बताती हैं होली के त्यौहार में बाजार में गुलाल बेचे जाते हैं किन्तु हमें यह पता नहीं था कि पालक, चुकन्दर तथा सिन्दूर से भी रंग तैयार किये जा सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों ने हमें न केवल रंग बनाया सिखाया बल्कि इसकी पैकेजिंग तथा विक्रय हेतु भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं। प्राकृतिक रंग बना रही एक और महिला झलरिया की सावित्री ने बताया कि होली के त्यौहार को देखते हुए हमने पर्याप्त मात्रा में रंग तैयार किये हैं तथा इसके विक्रय की व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की पहल पर त्यौहार की खुशियों के बीच आर्थिक अवसर मिलने से हमारा मनोबल बढ़ा है। हमे इस बात की भी खुशी है कि केमिकल युक्त रंगों से अलग हम प्राकृतिक रंग तैयार कर रही हैं, जिसका शरीर पर कोई नाकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। सावित्री ने इस पहल के लिए प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि आगे भी ऐसे आजीविकामूलक कार्यों का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाये ताकि वे आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर हो सके। कलेक्टर श्याम धावड़े एवं जिला पंचायत सी.ई.ओ. श्रीमती तुलिका प्रजापति ने स्टाॅल का अवलोकन कर महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए उनसे गुलाल की खरीदी की। साथ ही उन्होंने कहा कि रंगोंत्सव को प्राकृतिक रंगों के साथ ही मनाया जाये ताकि स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
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