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पाकिस्तान सीनेट अध्यक्ष के चुनाव के लिए मारा-मारी, विपक्ष का आरोप ISI के जरिए सांसदों पर डाला जा रहा दबाव
इस्लामाबाद : पाकिस्तान में शुक्रवार को सीनेट के चेयरमेन और डिप्टी चेयरमेन के लिए चुनाव होना है। इसको लेकर हर पार्टी ने अपनी कमर कस रखी है। एक तरफ पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट की तरफ से पाकिसतान पीपुल्स पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को सीनेट के चेयरमेन और जेयूआई-एफ के नेता मौलाना अब्दुल गफूर को डिप्टी चेयरमेन के लिए खड़ा किया गया है वहीं इमरान खान की सत्ताधारी पार्टी पीटीआई ने कार्यकाल खत्म कर रहे चेयरमेन मोहम्मद सादिक संजरानी को ही दोबारा इस पद के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। इनके अलावा प्रधानमंत्री इमरान खान फाटा से अरबपति सांसद मिर्जा मोहम्मद अफरीदी को डिप्टी चेयरमेन के पद के लिए अपना प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है।
इस हाई प्रोफाइल चुनाव से पहले ही विपक्षी सांसदों ने ये कहते हुए राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है कि सरकार की तरफ से सांसदों पर उनके प्रत्याशी को ही चुनने का दबाव डाला जा रहा है। इससे पहले विपक्ष सरकार पर सांसदों की खरीद-फरोख्त का भी आरोप लगा चुका है। इमरान खान ने जिस व्यक्ति को सीनेट के डिप्टी चेयरमेन के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है वो वर्ष 2018 में निर्दलीय के तौर पर चुने गए थे। इसके बाद वो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की गोद में जाकर बैठ गए थे। लेकिन बाद में उन्होंने पीएमएल-एन को तिलांजलि देते हुए पीटीआई का दामन थाम लिया। वहीं सीनेट के चेयरमेन संजरानी की बात करें तो उनके खिलाफ वर्ष 2019 में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव तक ला चुका है।
पाकिस्तान के अखबार द डॉन का कहना है कि सीनेट में विपक्ष का पलड़ा भारी है, लेकिन इसके बाद भी सत्ता और विपक्ष के बीच में जोरदार टक्कर है। डॉन का कहना है कि इस चुनाव में जीत के आसार विपक्षी पार्टी के प्रत्याशियों के ही हैं। सरकार भी इसको अच्छे से जान रही है इसलिए जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में सीनेट इसी तरह से काम करती है जैसे भारत में राज्य सभा। सीनेट पाकिस्तान का उच्च सदन है, जिसमें 104 सांसद हैं। यहां पर सांसदों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। मौजूदा सीनेट में होने को तो 100 सदस्य हैं लेकिन इशाक डार जो खुद स्वेच्छा से देश छोड़कर विदेश में रह रहे हैं उन्होंने सदन के सदस्य के तौर पर शपथ नहीं ली है।
इस तरह से मौजूदा सीनेट में पीटीआई के 27, बलूचिस्तान आवामी पार्टी के 12, एमक्यूएम के 3, तीन निर्दलीय, पीएमएल-क्यू और जीडीए के एक-एक, पीपीपी के 21, पीएमएल-एन के 17, जेयूआई-एफ के पांच, एएनपी, बीएनपी-एम, पीकेएमएपी के दो-दो, नेशनल पार्टी और जमात ए इस्लामी के एक-एक, सांसद हैं। इस तरह से विपक्ष के पास 52 सांसद हैं। वहीं सत्ताधारी पार्टी पीटीआई के पास 47 सांसद हैं। जमात ए इस्लामी ने इस चुनाव में हिस्सा न लेने की घोषणा पहले ही कर दी है।
चुनाव से पहले पीएमएल-एन के उपाध्यक्ष शाहिद खक्कान अब्बासी ने देश की सिक्योरिटी एजेंसियों से इस चुनाव के बाबत न्यूट्रल रहने की सलाह दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार की तरफ से सांसदों को फोन कर अपने पक्ष में करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसके लिए वो आईएसआई का सहारा ले रही है। सांसदों को एनएबी, एफआईए और एंटी करप्शन के मामनों में फंसाने का डर दिखाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने इस दौरान किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि वो अधिकारी केवल हुक्म मान रहे हैं। उनके पास इसके अलावा कोई और चारा नहीं है। उन्होंने ये भी कहा है कि इससे पहले इस तरह की बातें नहीं सुनी गईं। लेकिन देश में जब से इमरान खान की सरकार सत्ता में आई है तब से ये सब कुछ हो रहा है। अब्बासी ने ये भी कहा कि आईएसपीआर के डायरेक्टर जनरल ने उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त किया है कि सिक्योरिटी एजेंसियों का इस चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए उनकी इसमें कोई भूमिका भी नहीं होगी।
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