माता मावली मेला का हुआ समापन : लोककला-संस्कृति को आगे बढ़ाने में सरकार की अहम् भूमिका -मंत्री लखमा

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    नारायणपुर : बस्तर की कला, संस्कृति और बस्तर को अब लोग जानने-पहचानने लगे हैं। लोग अब अबूझमाड़ को यहां की गौरवषाली परम्परा के नाम से जानने लगे हैं। माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है। बस्तर अंचल में मड़ई-मेले को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, मैं पहले से ही माता मावली की धरा पर आयोजित होने वाले मेले में शामिल होता रहा हूं। उक्त बातें वाणिज्यक कर, आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने माता मावली मेला के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के आसंदी से कही। कार्यक्रम में मंत्री श्री लखमा ने जिले का नाम पूरे देष में रौषन करने वाले मलखंब के खिलाडियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया और उनके प्रदर्षन की सराहना की। इस अवसर पर उपाध्यक्ष प्रमोद नेलवाल, संगठन पदाधिकारी श्री आर.पी.सिंह के अलावा क्षेत्र के माता मावली मेला आयोजन समिति के हीरासिंह देहारी, क्षेत्र के मांझी, चालकी, पुजारी, जनप्रतिनिधी एवं संगठन पदाधिकारी और एसडीएम दिनेष कुमार नाग, डिप्टी कलेक्टर फागेष सिन्हा, धनराज मरकाम, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ए.सी. बर्मन, जिला षिक्षा अधिकारी जी.आर. मंडावी, मुख्य नगर पालिका अधिकारी मोबिन अली, जिला प्रषासन के जिला स्तरीय अधिकारी, गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

कलेक्टर एवं मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री धर्मेष कुमार साहू ने अतिथियांे का स्वागत किया। उन्होंने स्वागत भाषण में कहा कि 5 दिवसीय मेले में आम जनता के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यकमों के आयोजन किये गये, जहां लोगों ने अबूझमाड़ की कला संस्कृति की झलक देखी। वहीं आम जनता की भलाई के लिए चलायी जा रही योजनाआंे पर आधरित विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल भी लगाये गये। इसके साथ ही स्थानीय प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए मंच भी प्रदान किया गया।

हस्तषिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष और स्थानीय विधायक श्री चंदन कष्यप ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेष के मुख्यमंत्री श्री भूपेष बघेल आदिवासियों की भलाई के बारे में सोचने और इस पर अमल करने वाले मुख्यमंत्री है, जिन्होंने प्रदेष के आदिवासियों की स्वास्थ्य, षिक्षा के साथ ही आर्थिक, सामाजिक स्थिति बेहतर करने के लिए कई योजनाएं संचालित की है। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के कला एवं परम्परा को जीवित रखने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी लोग अपनी लोक, कला और संस्कृति को सहज कर रखें, ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी कला, संस्कृति पर गर्व कर सके।

बस्तर संसदीय क्षेत्र के सांसद दीपक बैज ने अपने उद्बोधन में कहा कि यहां के आदिवासी लोग देवी-देवताओं को मानने वाले लोग हैं और अंचल के लोगों पर माता मावली का आषीर्वाद हैं। उन्होंने जिला प्रषासन द्वारा माता मावली मेला में की गयी अनोखी पहल स्थानीय नर्तक दलों को मंच प्रदान करने, शासन की योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को देने विभिन्न विभागों द्वारा लगायी गयी प्रदर्षनी, स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच प्रदान करने, बिहान बाजार, गोधन उत्पादों की बिक्री आदि की सराहना की। कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती श्यामबती नेताम, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुनीता मांझी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री देवनाथ उसेण्डी सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को जिला प्रषासन द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्षन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राहुल देव ने किया।  


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