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शिवसैनिकों ने किया बढ़ते पेट्रोल - डीज़ल और घरेलू गैस के क़ीमतों पर अनोखे अंदाज़ में विरोध प्रदर्शन
लोहंडीगुड़ा : देश में पेट्रोल, डीजल एवं एलपीजी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। बढ़ते दामों के खिलाफ, शिवसेना की बस्तर इकाई ने केंद्र सरकार से पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने एवं आमजनता को मेंहगाई से राहत देने की अपील करते हुए, अनोखे अंदाज़ में विरोध प्रदर्शन किया है।
प्रदर्शन करियों ने मोटरसाइकिलों को लगभग 5 किलोमीटर तक धक्का लगाया
मेंहगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे आक्रोशित शिवसैनिकों ने प्रदर्शन के दौरान मोटरसाइकिलों को धक्का देते हुए लोहंडीगुड़ा विकासखंड मुख्यालय में भ्रमण किया। शिवसैनिकों का कहना हैकि देश के आधे से अधिक ग्रामीण आपमें सामान्य जीवन में आवागमन के लिए दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन तेल के कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होम पर उनका जीवन प्रभावित हुआ है। आम मध्यम वर्ग के कामकाजी व व्यवसायी वर्ग के लोग दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब उन्हें यह मेंहगा पड़ने लगा है, आगे ऐसा ही रहा तो आम नागरिक बार बार दो पहिया वाहनों को धक्का देने पर मज़बूर रहेगा।
सिर पर खाली गैस सिलेंडर उठाकर करते रहे प्रदर्शन
केंद्र सरकार की नीतियों का असर आम नागरिकों के रसोई तक हुआ है। एक सामान्य परिवार के लिए लगभग 900 रुपये का गैस सिलेंडर रिफिल कराना बहुत बड़ा कष्ट का विषय है।
हर माह सामान्य परिवार में 2 से 3 सिलेंडर की सामान्य ख़पत है, इस प्रकार अब मेंहगाई का असर आम नागरिकों सहित "बहुत हुई मेंहगाई कि मार - अबकी बार मोदी सरकार" वाले विज्ञापन देखकर भाजपा को वोट देने वालों के घर तक भी पहुंच चुका है। रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी का शिवसेना कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया। सर में खाली गैस सिलेंडर को उठाकर शिवसैनिकों ने बढ़ती मेंहगाई का प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा आरंभ की गई उज्जवला योजना की ज़मीनी हक़ीक़त को सामने लाने का प्रयास किया।
केंद्र सरकार के जिम्मेदार मंत्री नही दे रही आम जनता के परेशानियों की तरफ़ ध्यान
ज़िला उपाध्यक्ष मो. अशरफ़ खान ने कहा कि शिवसैनिकों द्वारा देशभर में लगातार बढ़ते पेट्रोलियम पदार्थों के क़ीमत पर प्रदर्शन जारी है, बस्तर ज़िले में कलेक्टर को ज्ञापन देकर पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में लाने हेतु सरकार को निर्देशित करने की मांग भी शिवसैनिकों ने महामहिम राष्ट्रपति से की थी, पर अबतक केंद्र सरकार द्वारा आम नागरिकों की समस्या पर ध्यानाकर्षण नही किया गया है, शिवसैनिकों ने कहा कि सरकार को आम नागरिकों की परेशानियों से कोई मतलब नही है।
प्रदर्शन कर रहे शिवसैनिकों ने पेट्रोलियम मंत्री मुर्दाबाद, कमल का फ़ूल - क्या यही थी फ़ूल ? इस तरह के नारों के साथ बढ़ते पेट्रोलियम पदार्थों के क़ीमत पर नाराजगी दर्ज़ कराई है।
ज़िला उपाध्यक्ष चंचलमल जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री के विज्ञापन से प्रभावित होकर हताश शिक्षित बेरोजगारों जिन्होंने पकोड़े एवं चाय का व्यवसाय आरंभ किया था अब वे भी केंद्र सरकार को कोस रहे हैं। चाय पकोड़े के दुकान चलाने वालों की आमदनी अठन्नी और ख़र्चा रुपैया जैसी स्तिथी है, जितना वे कमा नही रहें उतना गैस सिलेंडर के पीछे खर्च वहन करना पड़ रहा है।
घर घर में गैस की कीमतों के असर हुआ है जहां कभी 900 ₹ में 3 गैस सिलेंडर आती थी अब मात्र 1 सिलेंडर ही रिफिल हो पा रहा है। इस तरह सरकार ने उनपर अतिरिक्त बोझ डाला है।
पेट्रोल टंकी के बाहर खड़े होकर ग्राहकों से पूंछा "आ गए क्या अच्छेदिन..?"
शिवसैनिकों ने पेट्रोल - डीज़ल के वितरकों के संस्थानों के बाहर खड़े रहकर हाथों में आ गए क्या अच्छेदिन..? लिखा हुआ तख़्ती थामे ग्राहकों से प्रतीकात्मक सवाल करते हुए मेंहगाई के विरोध में प्रदर्शन करते रहें।
शिवसेना बस्तर के जिलाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय् के नेतृत्व में एकत्रित शिवसैनिकों ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही बेतहाशा वृद्धि से उत्पन्न मेंहगाई अब आसमान छूने लगी है। पेट्रोल डीज़ल के कीमत में हो रहे इजाफे का असर, यात्री वाहनों तथा मालवाहक गाड़ियों के किरायों में बढ़ोतरी एवं रोजमर्रा की जरूरतों पर पड़ा है। कोरोना काल में हर कोई परेशान है, कोरोना की मार से अब तक लोग उबर नहीं पाए हैं। विभिन्न राज्यों में कोरोना फ़िर से पैर पसारने में लगा हुआ है, ऐसे में पेट्रोल - डीजल, घरेलू गैस, खाद्य पदार्थों पर बढ़ती मेंहगाई ने आम लोगों की मुश्किलें अधिक बढ़ा दी है।
शिवसेना - बस्तर के ज़िला अध्यक्ष डॉ. अरुण पाण्डेय् ने कहा कि एक लीटर पेट्रोल पर मात्र एक्साइज ड्यूटी ही लगभग 32.98 पैसे जबकि डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर लगती है। जो कि पैट्रोल डीजल के बेस प्राइस से भी ज्यादा है। वहीं राज्य सरकार द्वारा लगाई जा रहे शुल्क को भी जोड़ कर देखें तो जनता से पैट्रोल डीजल पर 200 प्रतिशत के करीब शुल्क वसूला जा रहा है। इसीतरह एलपीजी के मुल्य में भी माह में तीन बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। जिसका सीधा असर गृहणियों के ऊपर पढ़ रहा है और घर का बजट गड़बड़ हो चुका है। शिवसेना की मांग हैकि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए जिससे उसपर मात्र 18% का टैक्स लगेगा और देश के आम नागरिको को मेंहगाई से काफ़ी अधिक राहत मिलेगी, देश में अगर मेंहगाई पर नियंत्रण लाया गया तब देश के प्रत्येक आम नागरिक का धन बचेगा जिसका इस्तेमाल करके वे समाज़ का चौमुखी विकास करेगा।
मेंहगाई के विरोध में प्रदर्शन करने वालों में प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय् के साथ ज़िला उपाध्यक्ष चंचलमल जैन और अशरफ़ खान के साथ ललित, सुनील, मोनू, लक्ष्मण, देवेंद्र, रमेश, अजय, ख़ालिद, आरिफ़, राजा नरेश, सलीम, रसीद, अल्ताफ़, शेरू, शाहरुख, कलीराम नाग, रणवीर डोंगरे, पिंटू मंडल, सोनसिंघ बघेल, लखीराम, मनीराम, धनीराम नाग, कबीर, राम और अन्य शिवसैनिक शामिल रहें।
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