महिला आयोग ने बुजुर्ग पिता की सम्पत्ति पर उन्हें वापस कब्जा दिलाया

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   रायपुर : राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओ से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान बुजुर्ग माता-पिता और छोटे भाई के परिवार को घर से बाहर निकालने का प्रकरण सामने आया। मकान का भूमि स्वामित्व बुजुर्ग दंपति के नाम पर है जिसमें उसके बड़े पुत्र श्याम सुन्दर और उसकी पत्नी ने कब्जे में रखकर माता-पिता और भाई को घर से निकाल दिया है। सीनियर सिटीजन से इस तरह का व्यवहार घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है। ऐसी परिस्थिति में बुजुर्गो को मकान का कब्जा देने के साथ अनावेदक की पत्नी द्वारा अनावेदक के पिता और उनके परिवार में किसी भी तरह का बुरा व्यवहार नहीं करने के निर्देश दिए गए। इस पूरे प्रकरण में अधिवक्ता द्वय श्री भूपेन्द्र जैन, सुश्री शमीम रहमान को कमिश्नर नियुक्त किया गया। थाना प्रभारी गोल बाजार को निर्देशित किया गया कि दोनों पक्षकारों को शांतिपूर्वक ढंग से उनके हिस्से में निवास हेतु उचित समझाइश दें और अनावेदक इसमें दखलांदाजी करने पर उचित कार्यवाही करें।

    इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उनके पति ने दूसरा विवाह कर लिया है। तीनों बच्चों को भी सुपरवाइजर दूसरी महिला के पास रख दिया है। पति द्वारा किसी भी तरह का भरण-पोषण नहीं दिया जा रहा है। इस पर अनावेदक ने पत्नी द्वारा मनगढ़त बातें कहना बताया। अनावेदक के पुत्र से टेलीफोन पर बात करने से स्पष्ट हुआ कि अनावेदक शासकीय पद पर होते हुये बिना पत्नी को तलाक दिये अवैध रिश्ते में है और अपने बच्चों को भी दूसरी महिला के साथ रख रहा है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अध्यक्ष ने अनावेदक को आगामी तिथि में अपने तीनों बच्चों, मां और सुपरवाइजर के साथ उपस्थित रहने कहा अन्यथा उसके और सुपरवाइजर महिला के खिलाफ विभागीय जाँच की अनुशंसा की कार्यवाही की जायेगी।

    एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने उपस्थित होकर अपना आवेदन वापस लेना चाहा, इस पर आवेदिका को विस्तार से सुना गया और आवेदिका को समझाइश दिया गया कि पति, बेटा, बहू के बात पर आकर प्रकरण वापस लेना गलत है। परिवार में उनके सम्मान में कभी भी कमी आने की दशा में या पति, बेटा, बहू के प्रताड़ित किये जाने की दशा में दोबारा महिला आयोग आकर कार्यवाही के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। आवेदिका के निवेदन पर आयोग ने निर्देश दिया कि उनकी के बेटी के घर आने-जाने पर परिवार के अन्य लोगों द्वारा पाबंदी नहीं लगाई जाए। ऐसा नहीं करने पर उनके पति, बेटा, बहू पर भविष्य में कार्यवाही की जा सकती है। इस आदेश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

    एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने दिसम्बर में दिये गये निर्देशों का पालन नहीं करते हुए शादी का सभी सामान और गहने अभी तक वापस नहीं किया गया। इसी स्थिति में संबंधित थाने से संपर्क कर उभय पक्ष को समय सूचित करने और आवेदिका का सामान वापस कराने दिलाने कहा गया।


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