दीवाली की तरह ही होली के बाजार में स्व-सहायता समूह की महिलाएं हिस्सेदारी के लिए आई आगे

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दुर्ग : इस साल की दीवाली जिले की स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के बनाये दीयों से रौशन हुई थी। इस बार होली की चमक इनके बनाये हर्बल गुलाल से होगी। पलाश, चुकंदर जैसी स्थानीय अहानिकारक सामग्री का उपयोग करते हुए यह हर्बल गुलाल बनाये गये हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहर में भी बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि दीवाली के मौके पर बिहान बाजार जिला पंचायत परिसर में सजाया गया था इसमें लगभग 16 लाख रुपए की सामग्री बिकी थी। स्थानीय उत्पादों को न केवल लोगों ने काफी सराहा अपितु खरीदा भी। दीवाली की सामग्री में महिलाओं की कुशलता तो थी ही, साथ ही उन्होंने अपने हुनर को अपने सौंदर्यबोध से निखारा भी था। इससे स्व-सहायता समूहों को प्रेरणा मिली कि त्योहारों के बड़े बाजार में हिस्सेदारी की जा सकती है। अभी बाजार में रासायनिक रंग हैं। समूह हर्बल रंग उपलब्ध करा रहे हैं चूँकि यह ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं तो इसकी विश्वसनीयता स्वाभाविक रूप से बनी रहती है। जैसे टेसू के फूलों से रंग बनाया गया है तो इसकी डिमांड होगी ही। ग्राम पंचायत मतवारी की गायत्री समूह की पदाधिकारी श्रीमती जागृति साहू ने बताया कि उनके समूह ने होली के अवसर पर हर्बल रंग बनाने का निश्चय किया और जिला पंचायत सीईओ से इस संबंध में चर्चा की, उन्होंने प्रोत्साहन दिया और बहुत जल्दी यह काम कर उन्हें दिखाया। इसकी उन्होंने प्रशंसा की। जागृति ने बताया कि होली में हर्बल रंग ही लेने चाहिए क्योंकि यह त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं। साथ ही स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित हर्बल रंगों की कीमत भी काफी कम रखी गई है जिससे उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्तापूर्वक सामग्री कम कीमतों में उपलब्ध है। श्रीमती साहू ने कहा कि बीते पंद्रह दिनों में महिलाओं ने कड़ी मेहनत की है और अब उत्पाद तैयार हो जाने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है। उल्लेखनीय है कि समूह की महिलाएं आज जिला पंचायत सीईओ से मिली भी और उन्हें अपने हर्बल रंगों के उत्पाद दिखाये।


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