कहते है सबकी बिगड़ी बनाये राम जी

लेखक: संजय दुबे

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 भारतीय संस्कृति में  किसी भी व्यक्ति के द्वारा आदर्श  कार्य किये जाने पर उन्हें दुसरो की तुलना में  उच्च  स्थान मिलता रहा है। इसके प्रथम उदाहरण के रूप में पूरे विश्व मे एक ही नाम है  ।इस दुनियां में जितनी भी संस्कृति ने जन्म लिया है वे अब इतिहास के पन्नो में दफ्न है लेकिन भारतीय  संस्कृति आज भी  गौरवपूर्ण ढंग से सैकड़ो आक्रमण के बावजूद भी दुनियां के सामने खड़ी है। इसका कारण क्या है?यदि हम इतिहास को पलट कर देखे तो एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम सामने आता है जिसने अपने कर्म से व्यक्ति को ईश्वर होने का रास्ता दिखाया। आज ऐसे ही व्यक्ति से ईश्वर बने जन जन के राम जी का जन्मदिन है।
 विदेशी संस्कृति के शौकीन पहले राजाओं और फिर  विदेशी चोर लुटेरे आक्रमणकारियों औऱ अंग्रेजो के बाद देश मे शासन करने वालो ने भारतीय संस्कृति को सर्वाधिक नुकसान पहुँचाया जिसके कारण इस देश का पहले तो राष्ट्रीय धर्म का चयन नही हो सका।राष्ट्रीय  व्यक्तित्व का चयन नहीं हो पाया और नही राष्ट्र भाषा चयनित हो पाई। नकलनवीसों ने दूसरे धर्मों को आत्मसात करने में ऐसा जोर दिखाया कि देश की सरकार के हाथ स्वास्थ्य औऱ शिक्षा निकल कर गिरजाघरों की  रखैल हो गयी।
उठाकर पूरे दुनिया के देशों के विकास का  कारण देखे तो अधिकांश देशों का अपना इकलौता धर्म है, चाहे  आप अमेरिका को लो या ईरान को, इंग्लैंड को लो या इराक को। एक हम ही विविधता खोजते रहे और हाल ये है कि हमारे पास राष्ट्रीय  व्यक्तित्व ही नही है। हर सत्ताधारी दल अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए व्यक्ति चयन करता है।
 मर्यादा,इस देश का राष्ट्रीय चरित्र होना था जिसके लिए उदाहरण राम को होना चाहिए था। वे अपने परिवार,समाज, राज्य,के लिए अनुकरणीय रहे। आज्ञा का पालन  करने और करवाने में उनके जैसा व्यक्ति नही हुआ कोई। मित्रता और शत्रुता उन्होंने समान रूप से निभाई। वे मर्यादा को उतनी ही सीमा तक मर्यादित रखा जितनी आवश्यकता पड़ी ,इसके बाद उन्होंने अनुसंधान किया और वे बाण छोड़े जिससे बाली और रावण जैसे शत्रु  का नाश हो गया।
 इस कारण इस देश के लोगो के रोम रोम में राम बसे। हमारे समाज मे प्रथम भेंट में राम राम का आदान प्रदान हुआ। पिता के रूप में दशरथ जनस्वीकार्य नहीं हुए लेकिन हर दशरथ ने पुत्र के रूप में राम की ही अपेक्षा की। भारतीय समाज मे आज भी किसी भी घर का बड़ा राम के तुल्य पुत्र और भाई के रूप में देखा तो जाता है। हमारी संस्कृति में राम कितने सहज और सरल रूप में अपनाए गए है इसका उदाहरण देखना हो तो नामो को देख लीजिए  आपको अनेकों नाम के साथ राम जुड़े मिलेंगे।
 आज ऐसे ही राम का जन्मदिन है।वे हर मन मे बसने वाले है । और कहते भी है कि सबकी बिगड़ी बनाने वाले राम जी ही है
 


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