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जन्म दिन विशेष : आपदा में महापौर ने सूझबूझ और दूरदर्शिता का दिया परिचय, संकट के दौर में भी की मिशाल पेश
रायपुर महापौर एजाज ढेबर आज 45 वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने समर्थकों से जन्मदिन नहीं मनाने का आह्वान किया है। जन्मदिन के अवसर पर कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में एम्बुलेंस, फूड पैकेट, आॅक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर के रूप में सहयोग करने की घोषणा की है।
जो लोग मजबूत इरादों से पूर्ण होते हैं वे विपरीत परिस्थितियों में हार नहीं मानते, वे चुनौतियों को स्वीकार करते हैं और कठिन परिश्रम से परास्त भी करते हैं। रायपुर महापौर पर यह बात सटीक बैठती है।
कोविड संकट के दौर में शहर ने अपने मेयर को मानवता की पहली पंक्ति में खड़ा पाया है। रायपुर को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने उनके द्वारा किए गए पहल बेहद सराहनीय और काबिले तारीफ है। एक ऐसी स्थिति जिसे असाधारण और अभूतपूर्व करार दिया जा सकता है। वहां पर शहर के मेयर की दूरदर्शिता काम आयी।
जब रायपुर में तालाबंदी की घोषणा की गई। तब यह उनकी दूरदर्शिता ही थी, जिसके चलते कोविड के मामलों में कमी आयी।
यह उनका मानवता भरा सहरानीय पहल ही है। जो उन्होंने अपना जन्म दिन नहीं मनाने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने एक एम्बुलेंस, गरीबों के लिए 15000 फूड पैकेट्स, 200 आॅक्सीमीटर और 15 थर्मल स्कैनर देने का ऐलान किया है, जिससे कोरोना से डट कर लड़ने में सहयोग मिल सके। इसके अलावा उन्होंने इस बात का भी घोषणा की है कि वे निगम के 550 कर्मियों के टीकाकरण का खर्चा खुद वहन करेंगे।
ऐजाज ढेबर उन लोगों की जमात में से आते हैं जो दूरदर्शी होने की वजह से कुछ असाधारण कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। जब कोविड के मामलों में वृद्धि हुई और चिकित्सा प्रणाली में खींच तान देखा जा रहा था। तब रायपुर के इंडोर स्टेडियम को कोविड देखभाल सुविधा में बदलने के उनके फैसले का सभी ने खुल कर स्वागत किया और उनका यह निर्णय रंग भी आया। जब से इंडोर स्टेडियम को कोविड देखभाल सुविधा में परिवर्तित किया गया है। तब से शहर के पॉजिटिविटी रेट में गिरावट देखी आयी है। नियंत्रण कक्ष से फोन कॉल के जरिये मरीजों की निगरानी करना, रोगियों से अक्सर पीपीई किट पहन कर मिलना, यहां तक की दरवाजे पर खड़े होकर फूलों की पंखुड़ियों की बौछार करके स्वस्थ्य रोगियों का स्वागत करना है। यह सब उनका पहल उन्हें औरों से अलग करता है।
300 बिस्तरों से सुसज्जित यह सुविधा बेहद अत्याधुनिक है और यहां पर गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए 140 आॅक्सीजन संयंत्र और सामान्य रोगियों के लिए 200 नोडल आॅक्सीजन सुविधाएं उपलब्ध है। मरीजों के मनोरंजन के लिए कोविड केंद्र टेलीविजन, शतरंज बोर्ड और कैरम बोर्ड से सुसज्जित है। यह कोविड केंद्र मरीजों को वीडियो कॉल के माध्यम से अपने निकट और प्रियजनों के साथ बात करने की स्वतंत्रता भी देता है।
ऐजाज ढेबर ने अभी 50 की दहलीज भी पार नहीं की है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जो अनुभव जुटाए हैं। वह लोगों को हैरान में डालने वाले अवश्य हैं। 1 मई 1978 को जन्मे ऐजाज के अंदर समाज के लिए कुछ करने का जज्बा इतना ज्यादा था कि 16 साल की उम्र में ही वे राजनीति में कूद गए और कुछ ही समय के बाद कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए।
अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान उनके अंदर की चिंगारी एक बार फिर से सामने आई, जब वे रायपुर शहर के सबसे कम उम्र के मेयर बने। यह मौका अभूतपूर्व था और इसने सभी उम्मीदों को धता बताया। शहर के मेयर के रूप में उनका वर्तमान कार्यकाल उनको लोकप्रियता की ऊंचाइयों पर ले गया। महज दो वर्षों के छोटे से कार्यकाल में उन्होंने किसी जमाने के बेहद ही गंदे बूढ़ातालाब को एक पर्यटन का केन्द्र व आकर्षक रूप दिया। रायपुर के स्थानीय पुलिस स्टेशन को हाई-टेक बनाने और हिंद स्पोर्ट्स ग्राउंड को एक विश्व स्तरीय परिसर में बदलने की पहल - उनके द्वारा लिए गए निर्णय थे। उन्होंने वेंटिलेटर, मुहल्ला क्लीनिक, ई-रिक्शा से लैस एंबुलेंस सुनिश्चित की, जो हमेशा रायपुरवासियों के लिए बेहद कारगर साबित हुआ।
जो लोग उनको करीब से जानते हंै उनका मानना है कि ऐजाज ढेबर के अंदर काम करने का जूनून हमेशा से रहा है। जो कुछ भी उन्होंने अभी तक रायपुर शहर के लिए किया है। उसको देखकर यही प्रतीत होता है मानो यह उनकी शुरूआत है। मिशन अमृत योजना (जो हजारों परिवारों के लिए स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करेगी), राज्य द्वारा संचालित अंग्रेजी माध्यम स्कूल, हर घर के लिए ई-नंबर प्लेट योजना और कोविड मामलों की रोकथाम उनके दिमाग में सबसे ऊपर है और यह तय है कि इसको सफल बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
45 की दहलीज पार करना इस युवा मेयर के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जो आदमी इस बात में विश्वास करता है कि कोविड के इलाज के बाद स्वस्थ्य होकर निकले रोगियों के ऊपर पंखुड़ियों की बौछार करना उसकी जिम्मेदारी है। वह उसके चरित्र के बारे में बहुत कुछ कहता है। ऐजाज ढेबर ने अपने बेहद ही अल्प कार्यकाल में दूसरों के लिए कई उदाहरण पेश किये हैं। इससे निश्चित है कि रायपुर का भविष्य सही हाथों में है।
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