babuaa आलेख : प्रदेश के जिलो में लॉकडाउन बढ़ाने या घटाने का निर्णय मतलब दो-धारी तलवार ...!
आज कोरोना संक्रमण देश में तांडव कर रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने पहले की स्थिती से ज्यादा तबाही मचा कर रखी है। आज इस मुश्किल घड़ी में हालात संभालने के लिए सरकार, सेना और स्वास्थ्य विभाग का पूरा अमला लगातार दिन-रात काम कर रहा है। वहीं समाजसेवी संस्थाए भी कोरोना के जंग में साथ मैदान में खड़े है। आंकड़ों की बात की जाये तो मरने वालो की संख्या ज्यादा नजर आती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी यह कोरोना का पिक नहीं और मई महीने के मध्य के आस पास आएगी , ऐसे में आप कोरोना कि भयावह स्थिति को अच्छे से समझ सकते है।
छत्तीसगढ़ और क्रिकेट मैच
फरवरी में हुए रोड सेफ्टी वर्ल्ड टूनामेंट में हजारों की संख्या में लोग मैच देखने गए। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों को फ्री टिकट देकर भेजा गया। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में कोरोना केस में इजाफा हुआ। आमजन का मानना है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मैच नहीं कराया बल्कि कोरोना बम विस्फोट किया है। इसे लेकर विपक्ष भी सरकार को घेरे हुए है।
छत्तीसगढ़ और लॉकडाउन
जब कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा था तब कोरोना संक्रमित मामलों में छत्तीसगढ़ ऊपर के पायदान पर था और करोना पर काबू करने लॉकडाउन 9 अप्रैल से लगाया गया, जिसे बढ़ाकर 6 मई कि सुबह तक किया गया। आज प्रदेश में कोरोना स्थिति कुछ नियंत्रण में दिखाई दे रही हैं, अब अहम सवाल - क्या 6 मई को लाॅकडाउन के हटने से कोरोना बढ़ेगा या नियंत्रण में रहेगा?
छत्तीसगढ़ और देश
लगभग देश में सभी राज्य कोरोना की स्थिति पर काबू में करने के लिए का सहारा ले रहे है। सभी का मानना है कि लॉकडाउन से ही स्थिति और संक्रमितों कि संख्या कम हुई है। छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर सहित कुछ अन्य जिलों का 6 मई सुबह लॉकडाउन की समयसीमा ख़त्म हो रही है। ऐसे में लॉकडाउन खुलेगा या बढ़ेगा...!
कोरोना और व्यापार
लॉकडाउन से व्यापारी वर्ग को काफी नुक़सान हुआ है। यह बात तो सभी को मालूम है , रोज़मर्रा के खर्चे भी मुश्किल हो गए है और जो व्यापारी दुकानों के खोले जाने का इंतिजार कर रहे है अगर लॉकडाउन खुलता है और लोगो की आवाजाही से किसी दुकानदार को कोरोना होता है. जिसकी वजह से हॉस्पिटल का बिल भरना पड़े या कोरोना से निधन होने पर परिवार के जीवन भर का पालन पोषण. यह किसकी जिम्मेदारी होगी? क्या कोई भी जिम्मेदारी लेगा ? इसका जवाब जरूर होना चाहिए।
लॉकडाउन और राजस्व
लॉकडाउन के कारण राज्य सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। पूर्ण लॉकडाउन में भूमि विक्रय, शराब विक्रय एवं अन्य करों से जो राजस्व आता है वह इस दौरान शुन्य है। राज्य शासन भी चाहेगा के लॉकडाउन खुले और राजस्व शुरू हो, लेकिन अगर लॉक डाउन खुलने के बाद कोरोना संक्रमण की स्थिति पूर्व की भांति बढ़ती है तो आमजन को हॉस्पिटल का रुख करना पड़ेगा। अभी भी राज्य के अस्पताल में वेंटीलेटर बेड मिलना मुश्किल है तथा संक्रमितों के संख्या बढ़ने और चिकित्सा संसाधन की कमी से होने वाली मृत्यु की लिए कौन जिम्मेदार होगा ?
कोरोना और उसकी गंभीरता
आज भी प्रदेश में ऐसे अनेक लोग है जो लॉकडाउन और कोरोना को हल्के में ले रहे है, लेकिन अगर कोरोना की गंभीरता को समझना है तो उन्हें अस्पताल में अंतिम संस्कार की प्रतीक्षा में रखी शवो की आत्माओं से रु-बरु होना चाहिए । इस महामारी को वो ही समझ सकते है, जिसके घर में कोई गमी हुई हो या जो इस महामारी की विकराल रूप से जीत कर वापिस आया हो।
कोरोना और राजनीती
अगर राज्य सरकार कोरोना का नियंत्रण अच्छे से करती है तो आने वाले विधानसभा की चुनावो में निश्चित रूप से मौजूदा सरकार को लाभ मिलेगा, लेकिन अगर जल्दबाज़ी में कोई निर्णय हुआ तो विपक्ष इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। अब निश्चित तौर पर तो कोई भी नहीं कह सकता की क्रिकेट मैच से ही प्रदेश में कोरोना विस्फोट हुआ क्योंकि कोरोना उन राज्यों में भी हुआ जहां कोई भी आयोजन नहीं हुआ, लेकिन आमजन और विपक्ष तो क्रिकेट मैच के आयोजन को सरकार की बड़ी लापरवाही मान रहें है, ठीक उसी तरह अगर 6 मई की सुबह लॉक डाउन खुलने की बाद प्रदेश में संक्रमण बढ़ता है तो सरकार पर ठीकरा ज़रूर फूटेगा ।
एक और जहां देश के कई राज्य लॉकडाउन की ओर बढ़ रहे है वैसे में छत्तीसगढ़ में 6 मई से क्या होगा यह अहम सवाल है ? बहरहाल सरकार का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होगा, अब देखना है कि क्या छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन से नियंत्रण में आ रही स्थिति को लॉकडाउन बढ़ा कर और नियंत्रण में लाना या लॉक डाउन को हटा कर कोरोना के नियंत्रण में रहने की उम्मीद करना है ?
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