तंबाकू खाओ खुद की जान लुटाओ

लेखक - संजय दुबे

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तो मेहरबान, कदरदान, पानदान,पीकदान, साहबान, तंबाकू का अपने दो गुण है-ये खाई भी जाती है और पी भी जाती है। दुर्गुण कितने है ये सब जानते है खासकर पढ़े लिखे सो कॉल्ड लोग तो बहुत अच्छे से जानते है, उनसे अच्छा उनके माँ बाप भाई बहन, बेटा बेटी सहित रिश्तेदार भी जानते है और संगत देने वाले भी। इसके बावजूद लोग तम्बाकू खा रहे है पी रहे है।

छुप छुप के भी, खुल कर भी।

सारी दुनियां जानती है कि इस वसुंधरा ने सेहत के लिए इतनी सारे बीज, जड़,मूल,शाख, पत्ती, फूल, दिए है कि अगर इनका नियमित उपयोग करे तो शतकीय पारी बड़े आराम से अच्छे सेहत के साथ पूरी की जा सकती है। सेहत बनाने के अलावा वसुंधरा ने सेहत बिगाड़ने वाले भी सामान का जुगाड़ किया है ।वस्तुतः ये बिगाड़ने वाले सामान व्यक्ति के आत्म नियंत्रण के लिए परोसी गयी है ताकि आपकी परीक्षा भी होती रहे आप सफल भी होते रहो लेकिन देश दुनियां में बुराई के प्रति अग्रसर होना पुरुषों की नियति बन गयी हैं,आजकल समानता और स्पर्धा ने महिलाओं को भी तम्बाकू के व्यसन की तरफ प्रेरित किया है लेकिन उनकी संख्या ज्यादा नही हुई है। हिंदुस्तान के महानगरों के साथ साथ महानगरों की नकल करनेवाले नगरों में आजकल तम्बाकू खाई कम और पी ज्यादा जा रही है।

 जब मैं सातवीं कक्षा में था तब मेरे एक तम्बाकू प्रेमी मित्र(दुश्मन) ने मुझे तम्बाकू आफर किया था।हिदायत दी थी कि सिर्फ चबाना,थूकना, थूक अंदर मत ले जाना। मैं नौसिखिया था गलती कर गया, सिर घूमने लगा, उल्टी हो गयी, मैं घबरा गया,। अच्छा हुआ ये सब मेरे साथ हो गया। तब से लेकर आजतक मैं इस व्यसन से दूर हूं। मगर जिन लोगो ने तम्बाकू को आत्मसात कर लिया है वे सालो से खा पी रहे है, ये जानते हुए कि इसका उपयोग जानलेवा है। बाजार में हर साल नई कंपनी खड़ी हो जाती है सादा गुटका के आड़ में जर्दा(तंबाकूयुक्त) वाला गुटका पेश करने के लिए। इनका प्रचार प्रसार करनेवाले अजय देवगन है आजकल शाहरुख खान भी आ गए है। ये बहाना बना सकते है कि हम साधारण गुटका बिकवाते है तो धर्मेंद्र भी सोडा बिकवाते थे,बिकता क्या था? हर पान के ठेले,किराना दुकानों में मौत का सामान उपलब्ध है 50 पैसे 1 रुपये में। गरीब तबके के लोग तो मानो तम्बाकू खाये पिये न तो उनका दिन न गुजरे। काम भी करते है तो मुँह में भरे रहते है। तम्बाकू एक तरह से स्टार्टर हो गया है दिन की शुरुवात करने का। 2×2 के शेशे में मिलता है। मौत का किश्तों में सौदागर है। भर लो मुँह में, जहां जगह मिले थूको,। 

सरकार ने तम्बाकू पीने वालों के डब्बे में बहुत बड़ा बिच्छु(कर्क) बनवाया है ये केंसर रोग के जकड़ने का प्रतीक है। इसे पढ़े लिखे लोग देखते है फिर उपयोग करते है।इसके बाद मुँह में जो सड़ांध होती है वह इतनी बेकार होती है कि घिन आने लगती है उसके परिवार के लोग इस दुर्गंध यंत्रणा से हर मिनट गुजर रहे है। एक व्यक्ति अपने सुख के लिए न जाने कितने लोगों के मन मे घृणा का शिकार है, ये क्यो नही समझा जाता है।

अपना नही अपने परिवार के लोगो का ख्याल करिये, तम्बाकू न खाइए, न पीजिए ।वरना मर्जी है आपकी जान तो आपकी है,इसी पे एक न एक दिन बन आएगी।


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