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क्यो न आयकरदाता को सशुल्क वैक्सीन की सुविधा मिले
लेखक - संजय दुबे
ये बात पढ़ते समय कतई ध्यान में न रहे कि एक पक्ष का समर्थन करना स्वभावगत दूसरे पक्ष का विरोध होता है। अगर मैं अमिरियत का पक्षधर हूँ तो गरीबीयत का विरोधी नहीं हूं। मैं भी इंसान हूं। दुखी की दुख को समझता हूं लेकिन दुखी होने की स्थायी भावना या स्वार्थवश दुखी रहने का उपक्रम इस उम्मीद में भाव बना लेना कि अगर दुखी नही दिखे तो सुविधा से वंचित हो जाएंगे , ऐसे वाद औऱ व्यक्ति और विचारधारा का मैं समर्थक नहीं हूँ लेकिन सुखी के सुख को देख कर मेहनत करने वालो को हमेशा से मैंने ऊपर रखा है । देश के संविधान में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का उद्देश्य प्रस्तावना में है जिसका मतलब कोई भी व्यक्ति मूलभूत सुविधा शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध जल आदि की न्यूनतम हक़दार रहे। सही है, न्यूनतम सुविधा मिलनी चाहिए और मिल भी रही है। अपेक्षा से ज्यादा भी। वे अपने हक़ के लिए सजग रहे लेकिन देश अर्थ से चलता है और इस व्यवस्था में सबसे बड़े लोग वे जो अपने आय या लाभ की हिस्सेदारी को देश के निर्माण में लगाते है उनको सुख के अधिकार से वंचित नही किया जा सकता है औऱ न ही किया जाना चाहिए।
जो लोग मेहनत करते है,जोखिम उठाते है, आय अर्जित करते है, संसाधन जुटाते है, सेवाएं देते है चाहे वे शासकीय कर्मचारी हो या निजी , एक निर्धारित आय के बाद वे आयकर के दायरे में आ जाते है। 5 से लेकर 30 प्रतिशत अपने आय को देना साधारण बात नही होती है, कदाचित इस आय को भी छुपाने की सफल कोशिशें होती है लेकिन कुछ के कारण सभी को गलत मान लेना उचित नहीं है। आज के दौर में सरकार देश के नागरिकों के लिए उम्रवार टीकाकरण कार्यक्रम चलाया रही है।अच्छी बात है लेकिन इस कार्यक्रम में सबसे अधिक दिक्कत आयकर दाताओं को हो रही है।उन्हें टीकाकरण के लिए ऐसे जगहों में जाना पड़ रहा है जहां वे सामान्यतः जाते नही है या जाना नही चाहते है। दूसरी बात वे कतार में नही लगना चाहते क्योकि उनकी दिनचर्या जुदा है साथ ही उनका समय कीमती है। वे मुफ्त की सुविधा नही चाहते है वे चाहते है कि उनको धनराशि देने के बाद सुविधाजनक रूप से टीका लगे। केंद्र सरकार पता नही किस उहापोह में रहती है कभी मुफ्त में टीका लगता है तो कभी शुल्क देने की व्यवस्था होती है। हर राज्य में समग्र व्यवस्था नही है। गुजरात मे सशुल्क व्यवस्था है निजी अस्पतालों में लेकिन दीगर राज्यो में व्यवस्था का अभाव है। एक बार शशि थरूर ने विमान में सामान्य वर्ग की बैठक व्यवस्था में सुविधा लेने से इनकार करते हुए व्यवसायिक क्लास में बैठने की बात कही थी तो विवाद हो गया था। मुद्दा था कैटल क्लास कहने का। पर सच तो यही है कि जब सरकार ही टेक्स के मामले में भेद करती है तो वह वर्ग जो टेक्स का भुगतान कर रहा है वह क्यो सुविधा न पाये। देश राज्य की सरकारों को सशुल्क टीकाकरण की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करना चाहिए। गरीबी भले ही अभिशाप है लेकिन अमीरी अभिशाप नही वरदान होना चाहिए।
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