टीके की प्रभावकारिता कई वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी : वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने गुरुवार को एक राहत भरी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक की वैक्सीन `कोवाक्सिन` के अंतिम चरण का डाटा अच्छा है, जिससे कि वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिलने की उम्मीद और अधिक बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि टीके की समग्र प्रभावकारिता कई वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है। हालांकि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता उम्मीद से कम है लेकिन यह अभी भी काफी अच्छा है। वैज्ञानिक ने आगे कहा कि कोवाक्सिन की सुरक्षा प्रोफाइल अब तक डब्ल्यूएचओ के मानकों को पूरा करती है।

स्वामीनाथन ने कहा कि हम उन सभी टीकों पर कड़ी नज़र रखते हैं जिन्हें आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल किया गया है। हम अधिक से अधिक डाटा जुटाने की कोशिश करते हैं। स्वामीनाथन ने कहा कि अमेरिका को छोड़कर दुनिया के अधिकांश हिस्सों में कोरोना के मामलों में तेजी देखी गई है और मृतकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। स्वामीनाथन ने भारत में कम से कम 60-70 फीसदी आबादी के प्राथमिक टीकाकरण का सुझाव दिया है।

उन्होंने कहा कि भारत ब्रिटेन जैसे देशों से सीख सकता है जो बूस्टर शॉट्स की योजना बना रहे हैं। हालांकि, डब्ल्यूएचओ इतनी जल्दबाजी में बूस्टर शॉट्स की सिफारिश नहीं करेगा। स्वामीनाथन ने कहा कि प्राथमिक टीकाकरण के दायरे को व्यापक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

स्वामीनाथन ने कहा कि अफ्रीका में मौतों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे डेल्टा वेरिएंट को माना जा रहा है जो कि पहली बार भारत में पाया गया था। उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि अगर मूल स्ट्रेन तीन लोगों को संक्रमित कर सकता है, तो डेल्टा वेरिएंट 6-8 लोगों को संक्रमित कर सकता है।

शारीरिक दूरी बनाए रखने और मास्क पहनना जारी रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए स्वामीनाथन ने कहा कि भले ही 70 फीसदी आबादी का टीकाकरण हो लेकिन सावधानी बरतने से इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार को परीक्षण और ट्रैकिंग जारी रखने की लगातार आवश्यकता है।


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