कौन सा चेहरा, किसका देखे
लेखक - संजय दुबे
मुझे हमेशा ये कहा जाता है कि मुझे आदमी पहचानना नहीं आता है। मैं चेहरे को देख सकता हूँ,उस चेहरे के माथे पर पड़ते बल को देख सकता हूं। उसके भौ के बीच पड़ते दो सिकुड़न को देख सकता हूं।आंखों की पुतलियों के मेरी पुतलियों से न मिलाना( इसे आंखे चुराना भी कहते है) देख सकता हूँ।मैं उसके चेहरे पर मुस्कुराहट देख सकता हूं। समूचे चेहरे की भाव भंगिमा को देख सकता हूँ लेकिन उसके मस्तिष्क में क्या चल रहा है, वह व्यक्ति किस चेहरे को लेकर मेरे सामने बैठा/ खड़ा है ये कैसे समझ सकता हूँ? कहते है कि जटिल मस्तिष्क हर व्यक्ति के सामने अलग व्यक्ति खड़ा कर देता है। जैसा सामने वाला व्यक्ति व्यक्तित्व पसंद करता है मस्तिष्क वैसा ही व्यक्ति खड़ा कर देता है। आप भी देखते समझते होंगे कि अगर कोई व्यक्ति आपकी खुशामत कर रहा होता है तो आप खुश हो जाते है, महिमा मंडन किसे बुरा लगता है? आपकी कोई बुराई कर रहा होता है या आपकी कमजोरी बता रहा है या आप पर नाराज़ हो रहा है तो आपको बुरा लग जाता है । ऐसे में ये समझ पाना की सामने वाला व्यक्ति किस चेहरे को लेकर आपके सामने खड़ा/बैठा है कठिन हो जाता है।अधिकांश व्यक्ति जिनके बारे में कहा जाता है कि वे व्यक्ति समझ मे पारखी है लेकिन वे उसी चेहरे के पारखी होते है जो उसके सामने होते है, उनके सामने से अदृश्य हुए चेहरे को वे कैसे पहचाने जाएंगे?
मुझे लगता है कि अधिकांश व्यक्ति स्वांग रचने में पारंगत होते है । पुंडरीक कृष्ण के समान ,वे चेहरा देखकर नही अपने स्वार्थ को ध्यान में रख कर प्रस्तुत होते है। निःस्वार्थ भाव से काम करने वाले व्यक्तियों के लिए भी सामने वाला ये धारणा रखता है कि ये व्यक्ति ऐसा क्यो कर रहा है? तब स्वार्थ के मायने लगाए जाते है। व्यक्ति के चेहरे के पीछे छिपे चेहरे को ढूंढा जाता है। सचमुच हर व्यक्ति के चेहरे पर दस बीस कम से कम चेहरे होते तो होंगे!
About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS