मानसून सत्र : शराबबंदी संकल्प का सदन में उठा मुद्दा.. शिवरतन शर्मा के शराब अर्थ पर डॉ महंत ने सुनाया मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर

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छत्तीसगढ़ में शराबबंदी 1 जनवरी 2022 से लागू करने के अशासकीय संकल्प पर सदन में सदस्य शिवरतन शर्मा ने दावा किया कि, गंगाजल हाथ में लेकर क़सम खाई गई कि शराबबंदी होगी। इस पर सदन के नेता भूपेश बघेल ने कहा

”गंगाजल की बात कह रहे हैं, शुरुआत ही झूठ से कर रहे हैं, गंगाजल क्यों लिया गया था.. वह मसला गिरीश देवांगन के लेटरहेड और शैलेष नितिन त्रिवेदी के फर्जी दस्तखत का था जिसमें यह लिखा गया था कि 2500 रुपए का बोनस नहीं दिया जाएगा, उसके लिए गंगाजल लिया गया था”

संकल्प पर बोलते हुए शिवरतन शर्मा ने कहा

”अरबी में शराब का अर्थ है ख़राब पानी”

इस पर आसंदी डॉ चरण दास महंत ने इस अर्थ को दूबारा पूछा और यही अर्थ बताए जाने पर मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर सुनाया और पूछा यह क्यों लिखा उन्होंने ? अध्यक्ष डॉ महंत ने शेर सुनाया

”ग़ालिब शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर.. या वो जगह बता.. जहां ख़ुदा ना हो”

इधर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अरबी को हल्बी समझ लिया और तेज सुर में कहने लगे

”ग़लत अर्थ बता रहे हैं.. ऐसा नहीं है.. हल्बी में ऐसा नहीं कहते हैं.. मैं वहीं से आता हूँ.. हल्बी में ऐसा कोई शब्द नहीं है और ऐसा कोई अर्थ नहीं है.. यह अपमान है”

मंत्री कवासी लखमा देर तक अपनी बात को दोहराते रहे, और सदन शोरगुल में डूब गया। हालाँकि कुछ देर बाद यह स्पष्ट किया गया कि, सदस्य शिवरतन शर्मा ने अरबी का अर्थ कहा है, हल्बी का नही.. लेकिन मंत्री कवासी को फिर हल्बी सुनाई दे गया, और उन्होंने फिर से कहा

”ऐसा नई है.. हल्बी में ऐसा नहीं बोलते हैं.. ये ग़लत बात है.. अपमान है”

हालाँकि मसला कुछ देर में मंत्री कवासी लखमा को फिर से स्पष्ट किया गया। 

इसी बीच अमरजीत भगत ने शराबबंदी के विषय पर टोका तो विपक्ष ने तंज किया

”आप से पत्रकार सवाल करते हैं तो आप कह देते हैं कि आप को सुनाई नहीं दिया”

इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत ने चुटकी ली

ऊँचाई पर होने.. नीचे से ऊपर जाने पर सुनाई कम देता है.. इसमें कोई नई बात नहीं है”


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